इस तारीख से बदल जाएगा देश का कानून…पुलिस कप्तान ने बताया…आनलाइन दर्ज होगा अपराध..बलात्कार मामलें में महिला जज करेंगी सुनवाई
बिलासपुर—अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय विश्वविद्यालय में आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ और जिला पुलिस के संयुक्त प्रयास से नवीन कानून दंड संहिता से न्याय संहिता की ओर विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पुलिस कप्तान रजनेश सिंह शामिल हुए। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति आचार्य ए डी एन वाजपेई ने किया। इस दौरान कुलपति ने अध्यक्षीय भाषण भी दिया।
कार्यक्रम को अपने संबोधन में कुलपति एडीएन वाजपेयी ने कहा कि भारत अब प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। चंद्रमा पर चंद्रयान भेज कर कीर्तिमान स्थापत किया है। यह उपलब्धि निश्चित रूप से भारतीय लोकतंत्र के लिए बहुत बड़ी है। क्योंकि भारत संवाद में विश्वास रखता है। उन्होने कहा कि तेजी से विकास करते बड़े देश के लिए राष्ट्रीय हित में न्याय प्रक्रिया में संशोधन जरूरी है। लोकतंत्र में लोक महत्वपूर्ण होता है। 1947 से पहले और बाद की परिस्थितियां अलग-अलग हैं। इसलिए समय के साथ परिवर्तन देशहित में है।
इस तारीख को बदलेगा कानून
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पुलिस कप्तान रजनीश सिंह ने भी प्रेजेंटेशन दिया। उन्होने बताया की 1 जुलाई 2024 से भारतीय दंड संहिता बदलकर भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में तब्दील हो जाएगा। पहले भारतीय दंड संहिता में जो खामियां थी..संशोधन के ना केवल दूर किया गया। बल्कि बेहतर बनाया गया है। इंडियन पेनल कोड में 23 अध्याय और 511 धाराएं थी। अब 358 धाराएं होगी।
दूर हुई कानूनी खामियां
रजनेश सिंह ने कहा कि औपनिवेशिक शासन के दौरान अंग्रेजों ने औपनिवेशिक साम्राज्य की सुविधा को ध्यान में रखकर कानून बनाया। कानून में कई खामियां थी ,जिनको बदलने की आवश्यकता थी। पुलिस कप्तान ने बताया संगठित अपराध को रोकने के लिए कानून में संशोधन किया गया है । अपराधियों के खिलाफ कानून को अधिक कारगर बनाया गया है। नए कानून में 111 सेक्सन है ।
दण्ड से न्याय की ओर
उन्होने बताया कि पहले के कानून में लोगों को सजा मिलने की संभावनाएं कम रहती थी। अब नए कानून में ऐसे अपराधी नहीं छूट पाएंगे ,साइबर फ्रॉड को रोकने के लिए भी भारतीय न्याय संहिता में व्यवस्था की गई है। इस दौरान पुलिस कप्तान ने आम जनता से अनजाने फोन कॉल को तुरंत रिएक्ट नहीं करने को कहा। उन्होने बताया कि इससे अपराधों को रोकने में काफी मदद मिलेगी हम इस व्यवस्था से दंड से न्याय की ओर जा रहे हैं। जिसमें भारत के जरूरतमंदों को न्याय मिलेगा और अपराधियों को दंड मिलेगा।
आनलाइन एफआईआर
नयी व्यवस्था के तहत ऑनलाइन एफआईआर भी कर सकते हैं। जीरो एफआईआर भी कर सकते हैं। इसमें टेरर एक्ट को भी परिभाषित किया गया है। भारत की संप्रभुता और एकता को चोट पहुंचाने वालों पर राजद्रोह का केस दर्ज होगा ।अपराधों के अन्वेषण में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को महत्वपूर्ण साक्ष्य माना गया है। विश्वसनीयता को स्वीकार किया गया है ।
महिला मजिस्ट्रेट ही करेंगी सुनवाई
माब लीचिंग और चैन स्नैचिंग जैसे अपराध को रोकने के लिए नया कानून बहुत ही कारगर है। बलात्कार पीड़ित महिला प्रकरण की सुनवाई में महिला मजिस्ट्रेट का होना अनिवार्य होगा। सारी सुनवाई महिला जज की उपस्थिति में होगी। महिला प्रताड़ना शब्द को भी भारतीय संहिता में परिभाषित किया गया है। धारा 210 में लैंगिक समानता के तहत तृतीय लिंग को भी डिफाइन किया गया है।
नाबालिग से बलात्कार में मौत
यदि 12 साल से कम उम्र की बच्ची के साथ क्राइम होता है तो मौत की सजा हो सकती है। 60 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों के लिए 3 वर्ष से कम सजा वाले अपराध हो तो उन्हें डीएसपी रैंक के अधिकारी की अनुमति से जमानत का भी प्रावधान रखा गया है। अपराध की कमाई से अर्जित की गई संपत्ति को कुर्की करने का भी प्रावधान नए कानून में है।
सात दिनों में देना होगा
साक्षी सुरक्षा योजना के तहत गवाहों की सुरक्षा के लिए भी पुलिस अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। डॉक्टरी मुलाहिजा के लिए डॉक्टर को सात दिन के अन्दर मेडिकल रिपोर्ट पुलिस के हवाले करना होगा। कुछ अपराधों में सजा के तौर पर कम्युनिटी सर्विस का भी प्रावधान है। अपराधी से आवश्यकता पड़ने पर वॉइस सेंपलिंग लेने की भी अनुमति पुलिस को है । इस तरह से ऐसे बहुत सारे प्रावधानों को भारतीय न्याय संहिता में लाकर भारत के न्याय क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम उठाया गया है । इसका लाभ देश की जनता को मिलेगा ।
इनकी विशेष उपस्थिति
कार्यक्रम का संचालन राष्ट्रीय सेवा योजना के समन्वयक डॉक्टर मनोज सिन्हा ने किया । कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के कुल सचिव डॉक्टर शैलेंद्र दुबे ,छात्र कल्याण अधिष्ठाता डा एच एस होता ,सुमोना भट्टाचार्य, तारबाहर थाना प्रभारी गोपाल सतपथी, तहसीलदार ओम प्रकाश चंद्रवंशी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक जसवंत पटेल जितेंद्र यादव रश्मि यादव गौरव साहू और विभिन्न महाविद्यालय से आए हुए शोधार्थी डीपी लॉ कॉलेज विधि के छात्र विश्वविद्यालय शिक्षक विभाग के छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।