मुंबई। महाराष्ट्र में भाजपा भले ही शिवसेना के साथ मिल कर सरकार अच्छा चला रही हो लेकिन हाल में हुए उपचुनाव में भाजपा अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई । चुनाव के नतीजे ने यह साफ कर दिया है कि महाराष्ट्र में भाजपा का जनाधार अब कम हो रहा है। बीते साल कोल्हापुर विधानसभा सीट के उपचुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस के गढ़ नागपुर में शिक्षक एमएलसी सीट पर भी हार मिली थी। इसके साथ ही गुरुवार को कस्बा पेठ सीट के नतीजे आए। यहां पर भाजपा उम्मीदवार को हार मिली जो कि कहीं ना कहीं पार्टी के लिए परेशानी बढ़ाने वाली है। कस्बा पेठ पर तो पार्टी को 33 सालों के बाद हार मिली है।
यही कारण है कि भाजपा की ओर से अब आत्म चिंतन पर जोर दिया जा रहा है।
खुद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि कस्बा पेठ सीट की हार को लेकर हम आत्म चिंतन करेंगे। कस्बा पेठ सीट पर हार भाजपा के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। यहां भाजपा को 10 हजार वोटों से हार मिली है। यह हार तब हुई है जब वह सत्ता में है। देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे ने यहां जमकर रैली भी की थी। हालांकि, सूत्र बता रहे हैं कि भाजपा के इस हार में आपसी गुटबाजी भी बड़ी वजह रही है। यहां भाजपा के विधायक रही मुक्ता तिलक का निधन हो गया था। वह ब्राम्हण थीं उनके परिवार को टिकट नहीं मिला, इसलिए शायद भाजपा की हार हुई है।
दूसरी ओर यह भी कहा जा रहा है कि भाजपा अब हिंदुत्व के मुद्दे पर जोर शोर से चुनाव लड़ रही है। स्थानीय मुद्दों पर कहीं ना कहीं वह उतना बात नहीं करती जितना राष्ट्रीय मुद्दों पर बात कर रही है। यही कारण है कि भाजपा को यह हार मिली है। फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी धंगेकर ने अपनी पार्टी के नेता राहुल गांधी की तस्वीरों का इस्तेमाल नहीं किया। मतदाताओं की स्वाभाविक सहानुभूति थी और यह चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में भी झलकता है। उन्होंने कहा कि हमने कस्बा पेठ विधानसभा क्षेत्र के लोगों के जनादेश को स्वीकार किया है और हम इस पर आत्मनिरीक्षण करेंगे। हम 2024 के विधानसभा चुनाव में निश्चित रूप से कस्बा पेठ जीतेंगे।