नई दिल्ली। दुनिया का एक ऐसा देश जहां महंगाई दर (Inflation Rate) सबसे ज्यादा है, लेकिन पेट्रोल की कीमत पानी की कीमत से बहुत कम है. 16.7 रुपये खर्च करके आप 10 लीटर पेट्रोल खरीद सकते हैं.
यहां जितना सस्ता पेट्रोल मिल सकता है, उतना कहीं और नहीं मिलता है. यह देश दक्षिण अमेरिका में स्थित है और वेनेजुएला (Venezuela) नाम से जाना जाता है. हालांकि यहां लोग खाने के लिए काफी संघर्ष कर रहे हैं.
सिर्फ इतने रुपये में मिलता है पेट्रोल
एक अनुमान के मुताबिक, दक्षिण अमेरिका का देश वेनेजुएला में दुनिया के कुल क्रूड रिजर्व का 18.2% हिस्सा है. इस कारण यहां पेट्रोल की कीमत सबसे कम है. वेनेजुएला में एक लीटर पेट्रोल की कीमत केवल 0.02 डॉलर यानी 1.67 रुपये प्रति लीटर में मिलता है, जो एक लीटर पानी की कीमत से बहुत कम है. ऐसे में अगर आप 10 लीटर की टंकी फुल करवाते हैं तो आपको 16.7 रुपये खर्च करने होंगे.
खाने-पीने की चीजें बहुत महंगी
कभी ये देश दुनिया में सबसे अमीर देशों में शुमार था, लेकिन आज इसकी पहचान दुनिया में एक देश के नाम से हो रही है, जहां महंगाई सबसे ज्यादा है. खाने-पीने की चीजें इतनी महंगी हो चुकी हैं कि लाखों लोगों को भूखे सोना पड़ रहा है. आलम ये है कि लोगों यहां से पलायन कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, गरीब लोगों को पेट भरने के लिए कचरे में डाले गए जूठन का सहारा ले रहे हैं. World of Statistics के मुताबिक यहां महंगाई दर 318% है.
इस बात से ही लगा लेंगे महंगाई का अंदाजा
रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में कोरोना महामारी (Covid-19) के बाद तेजी से महंगाई बढ़ी है. यहां के एक नागरिक कारमेन मेंडोजा ने बताया कि खाने का खर्च उठाने के लिए वे अलग-अलग मुद्राओं का सहारा लेते हैं. उनकी पेंशन, संपत्ति किराए पर देना और उनकी दो बेटियां स्पेन से लगभग 150 डॉलर प्रति माह भेजती हैं, लेकिन इतने में भी महीने का खर्च पूरा नहीं हो पाता है. नतीजन भोजन और दवा के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. 32 वर्षीय यासेलिन गार्सिया ने रॉयटर्स को बताया कि वह सिगरेट और अन्य चीज बेचकर महीने के 20 डॉलर कमाती है, लेकिन इसमें वह सिर्फ 15 अंडे, 3 किलो मक्के का आटा और कुछ अन्य अनाज ही खरीद पाती हैं.
कैसे हुई इस देश की ऐसी हालत
अब आपके मन में भी ऐसा ही सवाल उठता होगा कि आखिर इस देश की ऐसी हालत कैसी हुई? दरअसल बात 1999 की जब ह्यूगो शावेज के राष्ट्रपति बनने के बाद देश में समाजवादी व्यवस्था लागू हुई. शावेज ने अमेरिका से रिश्ता तोड़ लिया और चीन व रूस से अरबों डॉलर का लोन लेने लगे. सरकार ने इस पैसे को वेलफेयर प्रोग्राम पर जमकर खर्च किया और हर चीज की कीमत तय कर दी. देश की जमीन को सरकारी प्रॉपर्टी घोषित कर दिया. शावेज की मौत के बाद निकोलस मादुरो राष्ट्रपति बने और उन्होंने ने भी पुरानी व्यवस्था को जारी रखा. ये एक कदम और आगे निकलते हुए महंगाई के आंकड़े देने ही बंद कर दिए.
खूब छापे गए नोट
जब कर्ज का भार ज्यादा हुआ तो मादुरो ने बिना इकोनॉमिक के परवाह किए मादुरो ने कर्ज के भुगतान के लिए बेतहाशा पैसे छापे गए, जिससे करेंसी की कीमत काफी गिर गई. वहीं तेल के निर्यात पर निर्भरता ने भी देश को परेशानी में डाला. जब कच्चे तेल के दाम गिरे तो इस देश में महंगाई और चरम पर पहुंच गई. खासकर कोविड महामारी के समय से ही इसमें महंगाई बड़ी ही तेजी से बढ़ी.