बैगा गुनिया के चक्कर में पड़कर एक ग्रामीण को अपना पैर गंवाने की नौबत आ गई है। पैर में सूजन आने पर घर पर ही झाड़-फूंक करा रहा था। हालत बिगड़ने पर 108 के माध्यम से अस्पताल में कराया गया भर्ती। पैर में हुए सूजन के उपचार में लापरवाही बरतना एक ग्रामीण को काफी महंगा पड़ गया है। संक्रमण फैलने के कारण उसके पैर को काटने की नौबत आ गई है। ग्राम चाकामार में रहने वाला ग्रामीण अस्पताल में उपचार कराने के बजाए बैगा से झाड़फूंक कराता रहा, जिसके कारण यह नौबत आ गई। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोगों को सस्ता उपचार सुलभ हो सके इसके लिए शासन प्रशासन द्वारा गांव-गांव में अस्पताल खोल दिया गया है। बावजूद इसके लोग आज भी अंधविश्वास की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं और झांड़-फूंक के चक्कर में पड़कर अपनी जिंदगी को दांव पर लगाने से पीछे नहीं हट रहे हैं। ऐसा ही कुछ कोरबा के ग्राम चाकामार में देखने को मिला है। जहां पैर में हुए सूजन का अस्पताल में उपचार कराने के बजाय बैगा से झाड़-फूंक कराता रह गया। जिसका नतीजा यह हुआ, कि ग्रामीण के पैर में संक्रमण हो गया और चिकित्सक ने उसका एक पैर काटने तक की बात कह डाली। ग्रामीण को बेहतर उपचार के लिए रेफर कर दिया गया है।
The post कोरबा : झाड़-फूंक के चक्कर में गंवा बैठा पैर appeared first on .