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कौन है वैभव गोलछा : मस्तमौला स्वभाव का स्वामी या फिर . . ?

नेशन अलर्ट/9770656789

रायपुर.

दल्ली से लेकर दिल्ली तक इन दिनों कवासी लखमा, हरीश लखमा और उनके सहयोगी चर्चा का विषय बने हुए हैं. इन्हीं में एक नाम वैभव गोलछा का सुनाई पड़ता है. वैभव आखिर हैं कौन ? “नेशन अलर्ट” ने यह जानने की कोशिश की तो बडी़ रोचक जानकारी हाथ लगी है. वैभव या तो मस्तमौला स्वभाव का स्वामी है या फिर . . ?

वैभव को मूलतः राजनांदगाँव का निवासी बताया जाता है. उसके बारे में राजनांदगाँव के कारोबारी जगत से जुडे़ लोगों से चर्चा के अलावा उसकी फेसबुक प्रोफाइल चेक की गई. मोटामाटी जो जानकारी हाथ लगी है उस पर यह खबर आधारित है.

गायत्री विद्यापीठ के छात्र रहे हैं. . .

फेसबुक प्रोफाइल को देखने से लगता है कि वह फिलहाल रायपुर का निवासी है. उसकी शालेय शिक्षा राजनांदगाँव के गायत्री विद्यापीठ की बताई जाती है.

इसके अलावा उसने राजनांदगाँव के ही युगांतर पब्लिक स्कूल से भी अध्ययन किया है. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से उच्च स्तरीय शिक्षा अर्जित की ऐसा उसकी प्रोफाइल शो करती है.

उसने 2012 व 2015 में गोवा का भ्रमण किया था. ग्रैंड हयात सहित एलपीके सुपर नाइट क्लब गोवा के नाम उसकी प्रोफाइल में दिखाई पड़ते हैं. वह मँडोली, उदयपुर, जयपुर (राजस्थान) घूम आया है.

इसके अलावा उसकी प्रोफाइल उसे कुआला लम्पुर (मलेशिया) स्थित स्काईब्रिज की 2018 में यात्रा करना दर्शाती है. न्यूजीलैंड के ओटागो में क्वींसटाउन का उसने 2020 में भ्रमण किया था.

थाईलैंड के एक शहर का नाम फुकेत है. इस शहर को बडा़ रँगीनमिजाजी का नगर माना जाता है. फी फी आईसलैंड इस शहर में आने वालों को अपनी ओर आकर्षित करते रहा है. यहाँ का सफर भी वैभव 2022 में कर चुके हैं.

इन सारी जगहों को देखकर लगता है कि वैभव मस्तमौला स्वभाव के स्वामी हैं. राजनांदगाँव सँसदीय क्षेत्र में शामिल एक विधानसभा क्षेत्र के विधायक उन्हें रेत के कारोबार से जुडा़ बताते हैं.

बहरहाल, वैभव गोलछा, का नाम तब उभरा जब पूर्व आबकारी मँत्री कवासी लखमा, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कार्रवाई के दायरे में आए. वैभव और उनके मित्र बताए जाने वाले जय बग्गा इन दिनों चर्चा में ऐसे ही नहीं हैं.

आने वाले दिनों में और भी बातें उजागर हो सकती हैं जोकि अभी रहस्य बनी हुई हैं. तब तक वैभव का मस्तमौला स्वभाव अथवा रेत का कारोबार उन्हें चर्चा में बनाए रखेगा.

http://www.nationalert.in/?p=18761