वेदों का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है जिसकी महत्ता ॐ के लगभग बराबर मानी जाती है। यह यजुर्वेद के मन्त्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छन्द के मेल से बना है। इस मंत्र में सवितृ देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस मंत्र के उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है। इसे श्री गायत्री देवी के स्त्री रुप मे भी पुजा जाता है।
गायत्री महामंत्र –
ॐ र्भू भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥
हिन्दी में
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
गायत्री मंत्र का प्रभाव कुछ ऐसा है कि इसके जाप से तमाम कष्ट प्रभावहीन हो जाते हैं. गायत्री मंत्र का प्रयोग हर क्षेत्र में सफलता के लिए सिद्ध माना गया है. मंत्रों की ध्वनि से असीम शांति की अनुभूति होती है. गायत्री मंत्र के उपाय जीवन को हर ओर से खुशहाल बना सकते हैं. गायत्री मंत्र का जाप मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी कारगर माना गया है. नौकरी या बिजनेस में अगर परेशानी हो रही हो तो ऐसे में गायत्री मंत्र का जाप लाभ दे सकता है.
ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
गायत्री मंत्र का जाप तीन समय में किया जाए तो ज्यादा असरदार माना जाता है.
1. पहला समय
– गायत्री मंत्र का जाप सूर्योदय से थोड़ी देर पहले शुरू करें. मंत्र जाप सूर्योदय के थोड़ी देर बाद तक कर सकते हैं
2. दूसरा समय
दोपहर के समय में भी गायत्री मंत्र का जाप किया जा सकता है.
3. तीसरा समय
– गायत्री मंत्र का जाप सूर्यास्त से पहले शुरू करें. मंत्र जाप सूर्यास्त के थोड़ी देर बाद तक करें.
गायत्री मंत्र का जाप कैसे करें
– गायत्री मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला के साथ करना चाहिए.
– मौन रहकर गायत्री मंत्र का जाप किसी भी समय किया जा सकता है.
– गायत्री मंत्र का जाप ऊंची आवाज में कभी ना करें.
– गुरूवार को पीले वस्त्र पहनकर हाथी पर विराजमान गायत्री मां का ध्यान करें.
– गायत्री मंत्र के आगे-पीछे श्री का संपुट लगाकर जाप करें.
शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए ऐसे करें गायत्री मंत्र का जाप-
– मंगलवार, अमावस्या या रविवार को लाल वस्त्र पहनें.
– मां दुर्गा का ध्यान करें.
– गायंत्री मंत्र के आगे-पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार संपुट लगाकर 108 बार जाप करें. शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी.
– इससे परिवार में एकता बढ़ेगी, मित्रों से प्रेम बढ़ेगा.
गायत्री मंत्र के चमत्कार
– रोगों से मुक्ति पाने के लिए गायत्री मंत्र का जाप अचूक माना गया है.
– किसी शुभ मुहूर्त में एक कांसे के पात्र में जल भरें.
– इसके बाद लाल आसन पर बैठ जाएं.
– गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायंत्री मंत्र का जाप करें.
– मंत्र जाप के बाद पात्र में भरे जल का सेवन करें.
– इससे रोग से छुटकारा मिल जाएगा.
गायत्री मंत्र जाप के नियम
– गायत्री मंत्र का जाप किसी गुरु के मार्गदर्शन में करना चाहिए.
– गायत्री मंत्र के लिए स्नान के साथ मन और आचरण भी पवित्र होना चाहिए.
– साफ और सूती वस्त्र पहनें.
– कुश या चटाई का आसन पर बैठकर जाप करें.
– रूद्राक्ष, तुलसी या चन्दन की माला का प्रयोग करें.
– ब्रह्म मुहूर्त में यानी सुबह पूर्व दिशा की ओर मुख करके गायत्री मंत्र का जाप करें और शाम को पश्चिम दिशा में मुख कर जाप करें.
– इस मंत्र का मानसिक जाप किसी भी समय किया जा सकता है.
– गायत्री मंत्र का जाप करने वाले का खान-पान शुद्ध और पवित्र होना चाहिए.
समस्त प्रकार के अवरोध एवं कष्टों से मुक्ति हेतु गायत्री मंत्र का जाप संकल्प सहित करें। नियमित रूप से गायत्री मंत्रजाप करने से जीवन में कष्ट का आगमन नहीं होता और उन्नति तथा स्वास्थ्य बना रहता है।
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