रायपुर/27 मार्च 2023। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में किसान हितैषी भूपेश सरकार के द्वारा प्रति एकड़ धान खरीदी की सीमा 15 क्विंटल से बढ़ाकर 20 क्विंटल किए जाने से जहां 38 लाख किसान परिवार जश्न मना रहे हैं तो वहीं पूर्वाग्रह से ग्रसित भाजपा के नेता छत्तीसगढ़ के किसानों को तस्कर करार देकर अपमानित कर रहे हैं। विगत 4 वर्षों में भूपेश सरकार के किसान हितैषी निर्णयों के चलते छत्तीसगढ़ का किसान समृद्ध हुआ है।
कृषि विकास दर भी देश की तुलना में लगभग दोगुनी है, जहां देश में कृषि विकास दर 3.50 है वही छत्तीसगढ़ में 5.93 है। ना केवल समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की मात्रा बढ़ी है बल्कि पंजीकृत किसानों की संख्या 15 से बढ़कर 26 लाख और खेती का रकबा भी लगभग 10 लाख हेक्टेयर बढ़कर 31.17 लाख हैक्टेयर हो गया है। छत्तीसगढ़ में किसानों की समृद्धि से भाजपाइयों को पीड़ा हो रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में धान के अनुकूल जलवायु और परिस्थितियां हैं यहां सिंचित और असिंचित क्षेत्र में धान के उत्पादन के आंकड़े अलग-अलग हैं। जांजगीर, रायगढ़, धमतरी, कुरूद और रायपुर जिलों में भेट मुलाकात के दौरान प्रदेश के किसानों ने धान खरीदी में प्रति एकड़ सीमा 20 क्विंटल करने की मांग प्रदेश के किसान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से करते रहे थे, जिस पर अब भूपेश सरकार ने फैसला लिया है।
छत्तीसगढ़ में धान का रकबा, उत्पादन, खरीदी और तस्करी का खेल पूवर्वर्ती रमन सरकार के सरंक्षण में हुआ करता था। नकली खाद, नकली बीज, नकली दवा और कोचियों, बिचौलियों को संरक्षण देने का काम पूर्ववर्ती रमन सरकार करती थी उस व्यवस्था को भूपेश बघेल सरकार ने बदला है। कृषि उपकरण की सब्सिडी के लिए चिन्हित काउंटर तहत है उसे भी खत्म किया गया है। किसानों के पंजीयन से लेकर गिरदावरी सत्यापन और अनावरी रिपोर्ट सभी कुछ पारदर्शी तरीके से हो रहा है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि एक तरफ भूपेश सरकार ने कर्जमाफी से लेकर समर्थन मूल्य तक किसानों से किए सभी वादे पूरे किए हैं। कोदो, कुटकी, रागी भी ₹3000 प्रति क्विंटल में खरीद रहे हैं। भाजपा यह बताएं कि 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के मोदी सरकार के वादे का क्या हुआ? एमएसपी की कानूनी गारंटी कब मिलेगी? स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सी-2 फार्मूले से लागत पर 50 प्रतिशत लाभ का वादा 2014 में था उस पर मौन क्यों है?