रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए केंद्र द्वारा आवंटित बजट की आधी रकम भी सरकार खर्च नहीं कर पाई.
पिछले आठ सालों के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में जैविक खेती के प्रचार-प्रसार में तो छत्तीसगढ़ आगे रहा. लेकिन धरातल पर खेती को बढ़ावा देने की कोशिश नहीं हो पाई.
हालत ये है कि 2015-16 से 2023-24 के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना और पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास यानी एमओवीसीडी के तहत राज्य को 187 करोड़ आवंटित किए गए थे.
लेकिन इन आठ सालों में राज्य सरकार केवल 25 फ़ीसदी रकम खर्च कर पाई.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में इस दौरान जैविक खेती का क्षेत्रफल भी कम हुआ और जैविक फसलों का उत्पादन भी कम हुआ.
केंद्र सरकार के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार 2022-23 में राज्य में शुद्ध बोए क्षेत्र में से कुल जैविक खेती का क्षेत्रफल 2.7 फ़ीसदी था.
2022-23 में राज्य में जैविक प्रमाणीकरण के अंतर्गत कुल क्षेत्रफल 16,900 हेक्टेयर था.
आंकड़ों के अनुसार 2021-22 के मुकाबले इसमें 27.2 फ़ीसदी की कमी आई.
छत्तीसगढ़ में 2021-22 के मुकाबले 2022-23 में कुल जैविक उत्पादन में 14.2 फ़ीसदी की कमी आई है.
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