नई दिल्ली . सुप्रीम कोर्ट ने जी-20 शिखर सम्मेलन को देखते हुए राजधानी दिल्ली में बीएस-6 डीजल बसों के पंजीकरण की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रि्ब्यूनल (NGT) द्वारा राजधानी में डीजल बसों के पंजीकरण पर रोक लगाए जाने के खिलाफ दाखिल अर्जी पर यह अनुमति दी है.
दिल्ली में डीजल बसों का पंजीकरण फिर से शुरू होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने इसकी अनुमति दे दी है. जल्द ही परिवहन विभाग इस संबंध में आदेश जारी करेगा. परिवहन विभाग के सूत्रों की मानें यह मंजूरी सिर्फ जी-20 शिखर सम्मेलन को ध्यान में रखकर दी गई है.
वर्ष 2015 में एनजीटी ने 2000 सीसी से ज्यादा डीजल इंजन वाले वाहनों पर पाबंदी लगा दी थी. इसके बाद से दिल्ली में डीजल बसों का पंजीकरण बंद है. वर्तमान में सिर्फ ऑल इंडिया टूरिस्ट परमिट में डीजल बसों का पंजीकरण होता है, जिन्हें राजधानी की सड़कों पर चलने की अनुमति नहीं है. सितंबर में दिल्ली में जी-20 सम्मेलन होने वाला है. ऐसे में शहर को बड़ी संख्या में बसों की जरूरत होगी. सूत्रों ने बताया कि इसी को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद डीजल वाहनों के पंजीकरण को दोबारा अनुमति दे दी गई है. बसों के पंजीकरण के साथ संचालकों को एक शपथ पत्र भी देना होगा कि बसों का प्रयोग सम्मेलन में सेवा देने के लिए हो सकेगा. यह भी साफ किया है कि सिर्फ बीएस-6 श्रेणी की बसें पंजीकृत हो सकेंगी. इनका परिचालन दिल्ली की सड़कों पर भी किया जा सकेगा.
एनजीटी के एक अहम फैसले के कारण दिल्ली में 10 साल पुरानी डीजल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियां चलाने पर बैन है. इस आदेश के तहत एनजीटी ने आरटीओ से पुरानी डीजल गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन रद्द करने का आदेश जारी किया था. लाखों गाड़ियों का रजिसट्रेशन रद्द भी हो चुका है. एनजीटी के फैसले के तहत 15 साल से पुराने और बीएस 1 या बीएस 2 मानकों का पालन करने वाले डीजल वाहन सड़कों से हटाए जा रहे हैं.
जी-20 सम्मेलन में बसों की जरूरत होगी दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आदेश में बसों के पंजीकरण की संख्या को सीमित नहीं किया गया है. सिर्फ उन्हीं बसों का पंजीकरण होगा जो जी-20 की बैठक की सेवा के प्रयोग की जाएंगी. वहीं, बस संचालकों का कहना है कि ऐसा आदेश नहीं है. परिवहन विभाग का अनुमान है कि बसों का पंजीकरण खुलने के बाद हजारों डीजल बस बढ़ जाएंगी.
दिल्ली में होने वाली जी-20 की बैठक से पहले एक हजार इलेक्ट्रिक बसें भी सड़कों पर नजर आएंगी. इन सभी को दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के बेड़े में शामिल किया जाएगा. इसके अलावा परिवहन विभाग की ओर से दिल्ली में सभी कैटेगरी के वाहन चालकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा.