सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के जंगलों की रक्षा करने का दावा करने वाला वन अमला जंगली जानवरों का शिकार नहीं रोक पा रहा है। पिछले दिनों बिलासपुर जिले के जंगलों में कबरबिज्जू और जंगली बिल्लियों का शिकार करने वालों को पकड़ने के बाद इस बार सूरजपुर जिले में वन विभाग की टीम ने तीन तस्करों को पैंगोलिन के 10 किलो शल्क के साथ गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि वन अफसरों ने ग्राहक बनाकर इन तस्करों को झांसे में लिया और रंगे हाथ पकड़ा।
पैंगोलिन के शल्क की तस्करी करने वालों के बारे में “वन्य प्राणी अपराध नियंत्रण ब्यूरो” जबलपुर को पता चला था। जहां से सूरजपुर जिले के वन विभाग के अफसरों इसकी जानकारी भेजी गई। इसके बाद अफसरों ने योजना बनाई और फिर तस्करों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए जाल बिछाया।
सूरजपुर जिले के घुई रेंज के कुछ लोग संरक्षित प्रजाति के वन्य जीव पैंगोलिन के शल्क को बेचने के लिए ग्राहक की तलाश कर रहे थे। उनसे ग्राहक बनकर संपर्क किया गया। हालांकि आरोपियों ने भी तत्काल विश्वास नहीं किया और शल्क नहीं होने की बात कही। वन अफसरों ने भी हार नहीं मानी और उनसे संपर्क बनाए रखा। साथ ही शल्क के बदले में ऊंचा दाम देने का लालच देते रहे। अंततः आरोपी इनके झांसे में आ ही गए।
तस्करों ने कथित ग्राहकों से बनारस मार्ग पर स्थित ग्यारह नंबर मोड़ से रमकोला जाने वाले मार्ग के बीच स्थित कहुआ नाला के पास मिलना तय किया। आरोपी तय जगह पर पैंगोलिन का शल्क लेकर पहुंच गए। इधर, वन अफसरों की एक टीम ग्राहक बनकर पहुंची तो बाकी उन्हें रंगे हाथों पकड़ने के लिए छिपकर बैठे रहे। जैसे ही वे शल्क लेकर आए, टीम ने उनसे सौदा करते हुए उन्हें उलझाए रखा और फिर उन्हें रंगे हाथों पकड़ लिया गया।
वन विभाग की टीम ने इस मामले में सूरजपुर जिले के भेलकच्छ निवासी चरकू ( 35), ग्राम दुलदुली निवासी तनगू राम ( 33 ) और विजय ( 21) को पकड़ लिया। सभी के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया। फिर सभी को कोर्ट में पेश कर न्यायिक रिमांड पर जेल भेज दिया गया।
बता दें कि छत्तीसगढ़ के जंगलों में पाए जाने वाले दुर्लभ प्रजाति के पैंगोलिन के शिकार के चलते इनकी संख्या लगातार कम होती जा रही है। सोचने वाली बात यह है कि वन अमले द्वारा जब्त किये गए 10 किलो शल्क के बदले में न जाने कितने पैंगोलिन को मारा गया होगा।
छत्तीसगढ़ में लगभग हर रोज जंगली जानवरों के मारे जाने की खबरें आ रही हैं। कहीं करंट से वनभैंसे की मौत हो रही है, तो कहीं शिकारियों द्वारा बिछाये गए कंटीले तारों में फंसकर भालू मारे जा रहे हैं। पूर्व में कोरबा जिले में सूअर को मारने के लिए फेंके गए बम के चलते एक बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई, वहीं इसी जिले में जंगल में बिछाए गए करंट से चिपक कर एक ग्रामीण बुरी तरह झुलस गया। इन घटनाओं से साबित होता है कि जंगल का मैदानी अमला और उनकी मॉनिटरिंग करने वाले अफसर लापरवाह हो चले हैं। सच तो ये है कि ऐसे जिम्मेदार अफसरों और कर्मियों पर कोई कार्यवाही भी नहीं हो रही है, जिसके चलते इनकी मनमानियां और भी बढ़ गईं हैं। वन मुख्यालय अरण्य भवन में बैठे अधिकारियों को इस संबंध में ठोस कदम उठाने की जरुरत है, अन्यथा न तो जंगल बचेंगे और न ही जंगल की शोभा बढ़ाने वाले जानवर।
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