19.03.23| रायपुर में एक बड़ी धर्मसभा हो रही है। इस धर्मसभा में देश के कई राज्यों से संत पहुंचे हुए हैं। जूना अखाड़े के प्रमुख स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज की अध्यक्षता में देश को हिंदू राष्ट्र और छत्तीसगढ़ को धर्मांतरण मुक्त बनाने का संकल्प इस धर्मसभा में लिया जाएगा। इस सभा का आयोजन विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में हो रहा है।
सभा के पहले दिन अवधेशानंद गिरी ने कहा, जापान के लोग जापानी हैं, लेबनान के लेबनानी हैं, फ्रांस के फ्रेंच हैं, यूरोप में यूरोपियन, अमेरिका में अमेरिकन तो फिर हिंदुस्तान में रहने वाला हर व्यक्ति हिंदू हैं। लाखों-लाखों साल पहले हम हिंदू थे। हिंदू हैं और हिंदू रहेंगे, हिंदू पूरे विश्व को कुटुंब मानता है। किसी को दुख नहीं देना जानता, हिंदू की यही मान्यता है।
उन्होंने कहा, हिंदू डुबकी लगाता है, वहां छुआछूत नहीं है। इस देश में हम सब बराबर हैं। हम आदिवासियों के बहुत बड़े उपकारी हैं कि वहां शबरी ने राम को रास्ता बताया था। वनवासियों के उपकार को कभी भुलाया नहीं जा सकता। भारत में संत हैं, तीर्थ है, यहां का भविष्य कोई नहीं बिगाड़ सकता।
अवधेशानंद गिरी ने कहा कि छत्तीसगढ़िया सबसे बढ़िया, यहां बड़े ही भोले और नैसर्गिक प्राणी हैं। यहां का रायपुर अद्भुत दिखाई पड़ता है। हनुमान चालीसा सप्ताह में एक दिन अवश्य करें और हर दिन मंदिर जाएं, जिस दिन हिंदू कट्टर हो गया। पूरी धरती पर शांति और समाधान के मार्ग खुल जाएंगे। इस धरती पर हिंसा नहीं रहेगी। संत यात्रा जागरण की यात्रा है, संत द्वार पर आए तो भगवान द्वार पर आ गए मेरा यह मानना है। जिस दिन हिंदू कट्टर हो गया, वह शिव की तरह धर्म की रक्षा के लिए अपने अंगों को काटने के लिए तैयार हो जाएगा। पश्चिम की प्रवृत्ति बाजार की है। ईस्ट इंडिया कंपनी यहां बाजार देखने आए थे। पूरा संसार हिंदू की दृष्टि में परिवार है।
ये धर्मसभा असल में हिंदू जागरण यात्रा का समापन है। ये यात्रा प्रदेश में 18 फरवरी को शुरू की गई थी। 30 दिनों तक चली इस यात्रा में 1000 से ज्यादा गांवों में संतों का स्वागत किया गया। 500 से ज्यादा वंचित उपेक्षित परिवारों में संतों ने उनके घर जाकर लोगों से मुलाकात की। पिछड़े लोगों के बीच जाकर संतों ने भोजन किया। उनके साथ धार्मिक चर्चाएं की।
दो लाख से ज्यादा हनुमान चालीसा, हनुमान लॉकेट, रामचरित मानस और भगवत गीता प्रसाद के रूप में नि:शुल्क वितरित किए गए हैं । इस पूरी यात्रा के दौरान ढाई लाख लोगों के साथ मिलकर अलग-अलग जगहों पर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। हिंदू राष्ट्र की मांग, मेरा गांव धर्मांतरण मुक्त गांव हो इसका संकल्प लिया गया।
विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित इस धर्मसभा में आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी जोकि जूना अखाड़ा हरिद्वार के प्रमुख हैं। इनके अलावा काशी अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रनंद सरस्वती। शदाणी दरबार के संत युधिष्ठिर लाल। साध्वी प्राची, बालयोगेश्वर उमेश नाथ, पुष्पेंद्र पुरी, राजीव लोचन दास जी, स्वामी परमानंद, स्वामी प्रेम स्वरूपानंद, महामंडलेश्वर स्वामी सर्वेश्वर दास, राधेश्याम दास, आचार्य राकेश, रामानंद सरस्वती, सीतारामदास, श्याम दास रामस्वरूप, लक्ष्य राम, साध्वी संतोषी भारती जैसे संत इस धर्म सभा में शामिल हो रहे हैं।
इस कार्यक्रम का मकसद सनातनियों के बीच ‘संगत एवं पंगत’ (सत्संग एवं साथ बैठकर भोजन) के माध्यम से एकात्म-एकरस संगठित हिन्दू समाज प्रकटीकरण कर, हिन्दूभव (स्वाभिभान) जागृत करना है। समाज में बढ़ती हुई विषमता, भेदभाव, जनसंख्या असंतुलन, धर्मान्तरण, गौवंश हत्या एवं तस्करी, भूमि, लव एवं अन्य जिहाद, धार्मिक एवं सांस्कृतिक आक्रमण जैसी समस्याओं के समाधान एवं जागरण तथा हिन्दूराष्ट्र स्थापना हेतु संतों के नेतृत्व में पद यात्रा चल रही है। इसके आयोजन से अखिल भारतीय संत समिति (छत्तीसगढ़), सकल सनातन हिन्दू समाज (छत्तीसगढ़), विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंग दल (छत्तीसगढ़) जुड़ी है।
यह पूछे जाने पर निर्मोही अखाड़ा के संत राजीव लोचन महाराज ने कहा कि हम साधु हैं किसी राजनेता के नेता को नही जानते। हमारे नेता राम हैं। छग के लोगो के ह्रदय में राम हैं। राम को जन्म देने वाली माता कौशल्या छग में पैदा हुईं। हिन्दू राष्ट्र यहां से निकलकर पूरे भारत में फैलेगा। राम ही हिन्दू धर्म हैं। हिन्दू राष्ट्र की बात कर गए हैं तो हम राम राज्य की बात कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के लोग बात ही बात में हिन्दू राष्ट्र बना देंगे। छग के मुख्यमंत्री कह रहे दिल्ली जाकर हिन्दू राष्ट्र की मांग करें। हम कहीं जाएं वो मुख्यमंत्री को क्यो बताएंगे। हम मां की पेट से सीख के आये हैं। हिन्दू कौन जो तन में शस्त्र में और मन में शास्त्र रखे। हाथ में शस्त्र रखना होगा।
आत्मरक्षा के लिए शस्त्र रखें। हिन्दू राष्ट्र बनाने का सपना रायपुर से जाएगा। अब हर जिले में साधु जाएंगे। पहली सभा की शुरुआत कवर्धा से होगी। ईसाई धर्म में जा चुके 21 परिवारों ने की घर वापसी। धर्मसभा के दौरान साधु संतों ने परिवारो का भगवा गमछा पहनाकर और श्रीफल देकर किया स्वागत।