विशेष संवादाता, रायपुर
राजधानी की सड़कें अव्यवस्थित बैनर, पोस्टर और फ्लैक्स से अटी पड़ी हैं। शहरी सीमा में बड़े बड़े यूनिपोल और होर्डिंगन्स खतरा हैं। अब शहर के भीतर सभी प्रमुख मार्गों में लगे बिजली खम्भों और डिवाइडर में बैनर-पोस्टर खतरा बने हुए हैं। ट्रेफिक जाम, हादसों के साथ ही बेमानी पोस्टर-बैनर निगम और जिला प्रशासन को आर्थिक नुकसान भी पहुंचा रहे हैं।
मेट्रो सिटी की तर्ज़ पर शुल्क का प्रावधान और नई फ्लैक्स निति बनाने की अपनी भावना से मेयर एजाज़ ढेबर ने वाकिफ करवाया है। इस संबंध में महापौर ने बाकायदा कलेक्टर को प्रस्ताव भी भेजा है। जिसमे फ्लैक्स लगाने नई पॉलिसी बनाने की अपील है। मेयर चाहते हैं कि मुसीबत बन चुके ऐसे बैनर-पोस्टर लगाने वालों से प्रति घंटा या फिर दिन के हिसाब से चार्ज वसूला जाना चाहिए।
मेयर के मुताबिक उन्होंने अपनी भावनाओं से कलेक्टर को अवगत कराया है। बताते हैं कि सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाकर तत्संबंध में प्रयास की ज़रूरत है। ताकि नगर निगम अवैध पोस्टर, बैनर और फ्लक्स को लेकर नै नीतिया बना सके। प्रमुख व्यस्त मार्गों में बिजली खम्भों डिवाइडरों में महीनों ऐसे पोस्टर-बैनर लटके रहते हैं। खासकर मानसून में तेज़ हवा और बारिश में ये खतरा भी बन जाते हैं इसलिए कोई ठोस नियम-कानून बनना चाहिए।
एजाज़ ढेबर का कहना है कि इंदौर और चंडीगढ़ में फ्लैक्स, पोस्टर, बैनर लगाने वालों से प्रति घंटा शुल्क लिया जाता है। यह शुल्क नगर निगम वसूली करता है। इससे एक निश्चित समय के लिए इसे लगाने वाले समय पर हैं, वहीँ हादसों का भी दिक्कतों का भी निदान हो जाता है। साथ में नगर निगम की आय भी ऐसे में बूस्ट करती है। क्योंकि राजधानी में आये दिन जन्मदिन, बधाई और स्वागत के अलावा निजी कंपनी से जुड़े लोग बैनर, पोस्टर, फ्लैक्स लगा रहे हैं। पॉलिसी बनने के बाद आया बढ़ेगी और जनता को इससे निजात मिलेगी।