कोरबा। महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में पारदर्शिता नहीं होने के चलते मजदूरों के नाम पर फर्जीवाड़ा अब भी चल रहा है। आलम ये है कि इसके तहत होने वाले कार्यों में रोजगार सहायकों और सरपंचों द्वारा मृतकों और अपने रिश्तेदारों का नाम भी डाला जा रहा है। ऐसा ही एक मामला पकड़ में आने के बावजूद अधिकारी जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने से बच रहे हैं।
ऐसा ही एक मामला कोरबा जिले के पाली ब्लॉक के ग्राम पंचायत खम्हरिया में सामने आया, जहां एक मृत ग्रामीण को मनरेगा में मजदूर दर्शाकर पिछले 3 साल से उसका जॉब कार्ड भी क्रियान्वित रखा गया। मृत मजदूर के नाम से 74 हजार 680 रुपए का भुगतान भी हुआ।
इस मामले की शिकायत ग्राम खम्हरिया निवासी बीरू कुमार ने कलेक्टर से की है।
शिकायतकर्ता बीरु कुमार ने बताया है कि ग्राम पंचायत खम्हरिया की रोजगार सहायिका अनिता सोनवानी पति अमर लाल के द्वारा मृतक मजदूर राजकुमार पाटले पिता दयाराम, निवासी खम्हरिया के नाम पर जॉब कार्ड के माध्यम से रोजगार गारंटी योजना में हाजिरी दर्ज कर कार्ड नंबर 159-बी के जरिए लगभग 74,680 रुपए एवं बैंक ऑफ बड़ौदा में संचालित रोजगार सहायिका अनिता के बैंक खाता में दर्ज करा कर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। बीरु ने जो दस्तावेज उपलब्ध कराये हैं, उसके अनुसार राजकुमार पाटले पिता दयाराम की मृत्यु 19 जुलाई 2019 को हो चुकी है, जिसका मृत्यु प्रमाण पत्र भी जारी हो चुका है, लेकिन उसने वर्ष 2022 के अंत तक विभिन्न निर्माण कार्यों में काम किया है !
इस शिकायत में आरोप यह भी है कि रोजगार सहायिका द्वारा उसके पति व रिश्तेदारों के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड भी बनाया गया है। कार्ड नंबर 184-बी पुष्पा, 297-ए अमन, 439 अमन, अमरलाल, 481 गीता, 482 ईश्वर, 423 राजकुमार, 474 ललिता, 484 अजय, 432 दिव्या सोनी, 624 सरिता तथा जॉब कार्ड नंबर 628 अहिल्या के नाम पर है। इन तथाकथित मजदूरों का भुगतान रोजगार सहायिका, उसके पति और बेटी के खाते में किये जाने का उल्लेख भी है।
बीरु कुमार का कहना है कि इस संबंध में शिकायत-सूचना 22 फरवरी को भी दिया गया था लेकिन कोई कार्यवाही आज तक नहीं हुई, बल्कि जॉब कार्ड नंबर 159-बी मृतक राजकुमार का नंबर अब डिलीट करवा दिया गया है। शिकायतकर्ता ने पुन: कलेक्टर से शिकायत करते हुए आग्रह किया है कि इस भ्रष्टाचार में संलिप्त लोगों तथा फर्जी तरीके से सरकार की राशि का गबन करने वालों के विरूद्ध कानूनी कार्यवाही कर दोषियों को निलंबित किया जाए।
मनरेगा में काम करने वाले मजदूरों की सूची मस्टर रोल कहा जाता है। साल भर में मनरेगा के सोशल ऑडिट के मौके पर आयोजित ग्राम सभा में इस सूची की पुष्टि करनी होती है। वह इसलिए कि इसमें फर्जी मजदूरों के नाम न हों। मगर अधिकांश पंचायतों में मजदूरों का सत्यापन ही नहीं कराया जाता है। सच तो यह है कि ज्यादातर पंचायतो में मनरेगा के हर कार्य में फर्जी मजदूरों के नाम दर्ज करा दिए जाते हैं और उनके नाम पर मिली मजदूरी की बंदरबांट कर ली जाती है। बहरहाल पाली जनपद के ग्राम पंचायत खम्हरिया में मनरेगा में हुए फर्जीवाड़े की गंभीरता से जांच कराते हुए गड़बड़ी पकड़े जाने पर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करनी चाहिए।
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