माघ मास की पूर्णिमा को गंगा स्नान करने से मनुष्य का तन-मन पवित्र हो जाता है. माघी पूर्णिमा में किसी नदी, सरोवर, कुण्ड अथवा जलाशय में सूर्य के उदित होने से पहले स्नान करने मात्र से ही पाप धुल जाते हैं और हृदय शुद्ध होता है. शास्त्रों में भी कहा गया है कि व्रत, दान और तप से भगवान विष्णु को उतनी प्रसन्नता नहीं होती, जितनी कि माघी पूर्णिमा में स्नान करने मात्र से होती है. यह स्नान समस्त रोगों को शांत करने वाला है. इस समय ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप करते हुए स्नान व दान करना चाहिए.
धार्मिक मान्यता है कि माघ पूर्णिमा में स्नान करने से सूर्य और चन्द्रमा युक्त दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है. यह महीना जप-तप व संयम का महीना माना गया है इस महीने तामसी प्रवृत्ति के लोगों में भी सात्विकता आ जाती है, जिन भी जातक की कुंडली में राहु युक्त अथवा कमजोर ग्रह हों, ऐसे जातक को माघी स्नान करने एवं तिल और पात्र अथवा उनी वस्त्रों का दान करने से ग्रहीय दोषों की का समाधान पाया जा सकता है. साथ ही सभी प्रकार के भौतिक कष्टों से भी मुक्ति मिल सकती है.
माघ पूर्णिमा का मंत्र
मासपर्यन्त स्नानासम्भवे तु त्रयहमेकाहं वा स्नायात्त्र ।।
अर्थात् जो लोग लंबे समय तक स्वर्गलोक का आनंद लेना चाहते हैं, उन्हें माघ मास में सूर्य के मकर राशि में स्थित होने पर तीर्थ स्नान अवश्य करना चाहिए.
पूजा विधि
पूर्णिमा तिथि का महत्व
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