खंडवा। जिले के पिपलौद क्षेत्र के डेहरिया गांव के 4 साल के मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजन शव को अपने गांव ले जाने के लिए एंबुलेंस और शव वाहन के लिए भटकते रहे, लेकिन सरकारी एंबुलेंस वाले व्यवस्था नहीं होने की दुहाई देते रहे. गरीब आदिवासी परिजन के पास जो पैसा था. वह इलाज के दौरान खर्च हो गया. अब घर वापस जाने का पैसा ही नहीं बचा तो एंबुलेंस कहां से करते. आखिरकार परिजन बाइक पर ही बच्चे के शव को ले जाने के लिए निकले. अस्पताल में मौजूद मीडिया के कैमरे शुरू हुए तो आनन-फानन में अस्पताल वालों ने एंबुलेंस की व्यवस्था कराई.
वहीं बच्चे के परिजन ने बताया कि परिवार में 8 दिन के अंदर दो बच्चों की मौत हो गई. दोनों बच्चों को सर्दी-जुकाम और बुखार था, तो गांव के ही डॉक्टर ने इनका इलाज शुरू किया. जब तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो परिजन बच्चों को जिला अस्पताल लेकर भागे. एक बच्चे की हफ्तेभर पहले ही मौत हो गई थी. जबकि दूसरे बच्चे का इलाज चल रहा था. जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई. मामले में परिजनों का कहना है कि अस्पताल में एंबुलेंस नहीं मिलने के कारण वह बाइक पर ही शव को ले जा रहे थे.
जिला अस्पताल के पास हीं वाहन की व्यवस्था
दूसरी ओर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर अनिरुद्ध कौशल का कहना है कि उनके पास शव वाहन की व्यवस्था नहीं है. नगर निगम का शव वाहन खराब है, लेकिन वह भी नगरीय सीमा में ही आ जा सकती है. जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो एक निजी सामाजिक संस्था की एंबुलेंस उपलब्ध कराई गई.