नई दिल्ली। केंद्र में तीसरी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा अभी से तैयारी शुरू कर दी है। लोकसभा चुनाव 2024 के लिए खासकर उत्तर प्रदेश में भाजपा एक सटीक रणनीति तैयार करने के लिए लगातार काम कर रही है। आम चुनाव से एक साल पहले ही भाजपा चुनाव से पहले अपने संसद सदस्यों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करवा रही है। पब्लिक फीडबैक और आंतरिक सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट कार्ड को शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जाएगा। कहा जा रहा है कि सांसदों को उनकी आकलन रिपोर्ट के आधार पर ही टिकट दिया जाएगा या नहीं दिया जाएगा।
कैसे बन रहा से बीजेपी सांसदों का रिपोर्ट कार्ड
बीजेपी के आंतरिक सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट कार्ड बनाने के दौरान मिलने वाले पब्लिक फीडबैक और आंतरिक सर्वेक्षण की फाइंडिंग्स को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंचाया जाएगा। अत्यंत गोपनीयता के साथ किया जा रहा सांसदों का आकलन उनके निर्वाचन क्षेत्र के अलावा सार्वजनिक रूप से उनके आचरण पर भी विचार कर रहा है। साथ ही कम उपस्थिति के रिकॉर्ड वाले सांसदों को भी टिकट से बेदखली झेलना पड़ सकता है। क्योंकि पार्टी की आंतरिक इकाई उनके चुनाव लड़ने के खिलाफ फैसला कर सकती है।
यूपी में रायबरेली समेत 16 संसदीय क्षेत्रों पर ज्यादा फोकस
उत्तर प्रदेश राज्य ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बार, भगवा पार्टी का लक्ष्य यूपी में लोकसभा की सभी 80 सीटों पर कब्जा करना है। हालांकि इसका मुख्य फोकस उन 16 सीटों पर होगा, जिसे वह पिछले चुनावों में नहीं जीत सकी थी। भाजपा के जीतने के लिए सबसे महत्वपूर्ण सीटों में से एक रायबरेली होगी। रायबरेली संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कांग्रेस की पूर्व प्रमुख सोनिया गांधी करती हैं।
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा यूपी में मोदी लहर पर सवार होकर 80 में से 64 सीटों पर जीत हासिल करने में सफल रही। इसलिए बीजेपी के लिए एकमात्र चुनौती उत्तर प्रदेश से लगातार तीसरी बार ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है। इससे पहले भी विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों में अपने असेसमेंट फॉर्मूले के साथ बीजेपी यह प्रयोग कर चुकी है। पार्टी को इस प्रयोग का सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।