रायपुर। दिल्ली की सीमाओं पर चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन की दो प्रमुख मांगें थीं। पहली मांग किसान, कृषि और आम उपभोक्ता विरोधी तथा कॉर्पोरेट समर्थक कानूनों को निरस्त करना और दूसरी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सभी कृषि उपजों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देना। हालांकि कानून वापस लेने के बाद भी आज तक न्यूनतम समर्थन में फसल खरीदी की कानूनी गारंटी देना बाकी है।
यह बात आज रायपुर प्रेस क्लब में आयोजित प्रेस वार्ता में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने कही। इन्होंने बताया कि “कृषि और किसानों की वर्तमान हालत और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी जरूरी क्यों है” इस संबंध में व्यापक चर्चा, किसानों की एकजुटता और आगामी रणनीति के लिए छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ (संयुक्त किसान मोर्चा) के बैनर तले 21 अक्टूबर को दिन के 11 बजे से शाम 5 बजे तक कृषि उपज मंडी महासमुन्द में किसान महाबइठका का आयोजन किया गया है जिसमें सभी किसान, मजदूर, छात्र युवा, बुध्दिजीवियों, पत्रकारों आम नागरिकों को आमंत्रित किया गया है। इस दौरान किसानों और आम अवाम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
प्रेस वार्ता में बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले होने वाले इस कार्यक्रम के जरिये केंद्र और राज्य सरकार के समक्ष अलग-अलग मांगें प्रस्तुत की जाएंगी। केन्द्र सरकार से मांगें इस तरह होंगीं – स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार सभी फसलों का लागत से डेढ़ गुणा न्यूनतम समर्थन मूल्य तय हो, सभी कृषि उपजों को बारहों माह न्यूनतम समर्थन मूल्य में खरीदी की कानूनी गारंटी दो, प्रधानमंत्री किसान सम्मान राशि का लाभ सभी किसानों को अनिवार्य रूप से प्रदान किया जाये, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ सभी पात्र हितग्राहियों को प्रदान किया जाये तथा सभी बकाया किस्त की राशि तत्काल प्रदान की जाये, यूरिया, डीएपी जैसे सभी प्रकार की खाद की उपलब्ता बढ़ायी जाये, कालाबाजारी पर रोक लगायी जाये।
इसी तरह राज्य सरकार से जो मांगें की जाएंगी उनमें सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों का दाना-दाना धान ख़रीदा जाये, भाजपा सरकार की दो साल का धान का बोनस किसानों को प्रदान किया जाये, चिटफंड कंपनियों से किसान , मजदूर , एवं आम अभिकर्ता / निवेशकों की राशि वापस दिलाया जाये, छत्तीसगढ़ में किसान आयोग का गठन किया जाये, प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत बकाया सभी किस्त हितग्राहियों को शीघ्र प्रदान की जाये, ऋणी एवं अऋणी सभी किसानों को सहकारी समितियों में खाद की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध करायी जाये, राईस मिलरों द्वारा खरीदे गए धान का बकाया भुगतान किया जाए, हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला उत्खनन एवं रहवासियों के विस्थापन पर रोकलगाएं, राजधानी और जिला स्तर पर किसान भवन का निर्माण किया जाये, बारदाना समस्या के स्थायी निराकरण के लिए जूट मील की स्थापना की जाये, कृषि उपज मंडियों में सौदा पत्रक को समाप्त किया जाए तथा सौदा पत्रक के नाम से अब तक हुए भ्रष्टाचार की जांच किया जाये, कर्जमाफी से वंचित सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाये, कृषि उपज मंडी एवं सहकारी समितियों में आम निर्वाचन द्वारा प्रतिनीधियों का चुनाव किया जाये, जंगली सूकर को वन्य प्राणी अधिनियम से बाहर किया जाये, लखौली रेलवे पुल निर्माण के कारण जलभराव से हुए किसानों के फसल नुकसान का एक साल से लंबित मुआवजा प्रदान करें, सड़क में गड्ढों के कारण दुर्घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के ऊपर कार्यवाही किया जाये। इसके अन्य मांगे जो महाबइठका में आएंगी, उसे सम्मिलित कर प्रस्ताव को ज्ञापन के रूप में सौंपा जायेगा।
इस महाबइठका को सफल बनाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान जोर-शोर से जुटे हुए हैं। पत्रकार वार्ता को तेजराम विद्रोही, संयोजक, मंडल सदस्य छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ, जागेश्वर जुगनू चन्द्राकर संयोजक, किसान भुगतान संघर्ष समिति, महासमुन्द, लक्ष्मीनाराण चन्द्राकर, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ अभिकर्ता/निवेशक कल्याण संघ, अजय राहू, संयोजक, किसान भुगतान संघर्ष समिति, सांकरा, पवन सक्सेना सदस्य, कृषक बिरादरी ने संबोधित किया।
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