सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विद्यालयों में पढ़ने वाली लड़कियों के लिए मासिक-धर्म स्वच्छता प्रबंधन के वास्ते मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और एक राष्ट्रीय माडल तैयार करने का केंद्र सरकार को निर्देश दिया, ताकि इसे सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपना सकें।
शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को ‘बेहद महत्वपूर्ण’ करार दिया
शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को ‘बेहद महत्वपूर्ण’ करार देते हुए कहा कि केंद्र को सरकारी और सरकारी-सहायता प्राप्त विद्यालयों सहित सभी विद्यालयों में मासिक-धर्म स्वच्छता प्रबंधन पर एक समान राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के लिए सभी हितधारकों के साथ जुड़ना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पार्डीवाला की पीठ ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय करने और राष्ट्रीय नीति तैयार करने के लिए प्रासंगिक डाटा एकत्र करने के वास्ते स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया।
पीठ ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, शिक्षा मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय की मासिक-धर्म स्वच्छता के मुद्दे पर योजनाएं चल रही हैं। पीठ ने कहा, ‘सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया जाता है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में आवासीय और गैर-आवासीय विद्यालयों में लड़कियों के शौचालयों के उचित अनुपात को अधिसूचित करें।’
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