बिपत सारथी@गौरेला पेंड्रा मरवाही। जिला बनने के बाद अब तक बिजली पानी सड़क जैसे मूलभूत सुविधाएं और विकास से कोसों दूर मरवाही विधानसभा में एक ऐसा गांव है, जहां ना तो सड़क है ना ही स्कूल और न ही आंगनबाड़ी केंद्र जिससे मजबूरी में यहां के बच्चे अशिक्षित हैं।
दरअसल मरवाही विधानसभा के मटियाडाँड़ ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम अखराडाँड़ का मामला है। जहाँ आजादी के बाद 1950 से इस गाँव में धनुहार जनजाति के लोग निवास करते हैं।बांस से टोकरी और विभिन्न प्रकार के पारंपरिक चीजें बनाकर अपना जीवन यापन करते हैं, लेकिन इतने वर्ष गुजर जाने के बाद भी यह लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर हैं।इस गांव में बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं है वहीं इस गांव में जाने के लिए सड़क तक नहीं है जंगल के पगडंडियों के रास्ते ही इस गांव तक पहुँचा जा सकता है।जहां जंगली जानवरों का खतरा भी रहता है। जिसके चलते इस गांव के बच्चे अन्य गांव में जाकर पढ़ाई भी नहीं कर सकते हैं। साथ ही पीने के पानी की समस्या भी इन लोगों के लिए बनी हुई है, यह क्षेत्र भालुओं का गढ़ माना जाता है लेकिन यहां हाथियों की आवाजाही से भी ग्रामीण काफ़ी दहशत के साए में जीने को मजबूर है, लेकिन इनका सुध लेने वाला कोई नहीं है। यह स्वयं हाथी और भालुओं से बचने के लिए गांव में जो दो-चार आवास घर बने हैं, उनके ऊपर तंबू लगाकर रात बिताने को मजबूर रहते हैं।
यहां के क्षेत्रीय विधायक भी इस गांव में कभी लोगों का हाल-चाल जानने तक नहीं पहुंचे हैं, जिससे ग्रामीणों में रोष है। सरपंच का कहना है की शासन प्रशासन को कई बार पत्र लिखकर अवगत कराया गया है पर आज तक इस ग्राम पंचायत की स्थिति नहीं सुधर पाई है।
प्रशासन का कहना है जानकारी लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा जाएगा चूंकि गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला बैगा बाहुल्य है और बैगा जनजाति के लोग अधिकतर जंगलों में ग्राम पंचायत से भी दूर रहते हैं इसकी वजह से दिक्कत बनी रहती है जहां-जहां इस तरह की दिक्कतें हैं विभागों से जानकारी लेकर मूलभूत सुविधाओं को पहुंचाया जाएगा। अब देखने वाली बात यह होगा कि कब तक इस गांव में शासन प्रशासन की योजनाएं पहुंच पाती है…