गणेश चतुर्थी का पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. इस बार गणेश चतुर्थी 30 अगस्त 2022 मंगलवार को दोपहर 3 बजकर 33 मिनट से शुरू हो रही है.10 दिवसीय गणेश महोत्सव का शुभ मुहूर्त भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 30 अगस्त दोपहर से शुरू होकर आज 31 अगस्त दोपहर 03:30 पर समाप्त हो जाएगी. पंचांग के अनुसार इस बार गणपति बप्पा की मूर्ति की स्थापना का शुभ मुहूर्त आज 31 अगस्त को दोपहर करीब 03:30 तक है.
गणेश चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नानादि से निवृत हो जाएं और व्रत का संकल्प लें. जहां गणपति की स्थापन करनी है वहां गंगाजल छिड़कर उस स्थान को पवित्र करें. अब उत्तर पूर्व दिशा में पूजा की चौकी रखें और उस पर लाल या सफेद कपड़ा बिछाएं.
गणेश चतुर्थी 2022 मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2022 Muhurat)
भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू – 30 अगस्त 2022, दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि खत्म – 31 अगस्त 2022, दोपहर 3.22 मिनट तक
गणेश जी स्थापना मुहूर्त – 11.05 AM – 1.38 PM (31 अगस्त 2022, बुधवार)
विजय मुहूर्त – दोपहर 2.34 – 3.25 (31 अगस्त 2022)
अमृत काल मुहूर्त – शाम 5.42 – 7.20 (31 अगस्त 2022)
गोधूलि मुहूर्त – शाम 6.36 – 7.00 (31 अगस्त 2022)
गणेश चतुर्थी 2022 शुभ योग (Ganesh Chaturthi 2022 Shubh yoga)
इस साल गणपति जी तीन बेहद शुभ योग में पधार रहे हैं. गणेश चतुर्थी रवि, ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है. साथ ही इस दिन बुधवार होने से गणपति का जन्मोत्सव बेहद खास होगा.
रवि योग – 31 अगस्त 2022, 06.06 AM – 1 सितंबर 2022, 12.12 AM
शुक्ल योग – 31 अगस्त 2022, 12.05 AM – 10:48 PM
ब्रह्म योग – 31 अगस्त 2022, 10.48 PM – 1 सितंबर 2022, 09.12 PM
गणेश चतुर्थी पूजा विधि
गणेश चतुर्थी की पूजन सामग्री
पूजा के लिए चौकी, लाल कपड़ा, गणेश प्रतिमा, गंगाजल, इलाइची-लौंग, सुपारी, जल कलश, पंचामृत, रोली, अक्षत, मौली, सिंदूर, लाल फूल, जनेऊ, चांदी का वर्क, नारियल, पंचमेवा, घी-कपूर,चंदन, दूर्वा, मोदक, बेसन के लड्डू।
कब है अनंत चतुर्दशी 2022 ? (When is Anant Chaturdarshi 2022)
इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022, शुक्रवार को है.मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजन कर बप्पा का विसर्जन किया जाता है.
कैसे मनाते हैं गणेश उत्सव ? (How we celebrate Ganesh utsav)
गणेश चतुर्थी पर मिट्टी से बने गणेश जी की घर, मंदिरों में स्थापना की जाती है. भक्त 10 दिन तक गणपति का पूजन, कीर्तन करते हैं. महाराष्ट्र में ये त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. फिर अनंत चतुर्दशी पर बप्पा का विसर्जन कर उन्हें विदाई दी जाती है. इस दिन
क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी ? (Why we celebrate Ganesh Chaturthi)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद में आने वाले गणेश चतुर्थी को गणपति के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है. 10 दिन तक चलने वाला ये उत्सव गणेश चतुर्थी पर गौरी पुत्र गणेश के आगमन से शुरू होता है, जिसका समापन अनंत चतुर्दर्शी को किया जाता है.
क्यों 10 दिन तक मनाते है गणेश उत्सव ? (Ganesh Utsav celebrate for 10 days)
पौराणिक कथा के अनुसार भादो की गणेश चतुर्थी पर महर्षि वेदव्यास जी ने महाभारत की रचना के लिए गणेश जी का आह्वान किया था और उनसे महाभारत को लिपिबद्ध करने की प्रार्थना की. मान्यता के अनुसार इसी दिन व्यास जी ने श्लोक बोलना और गणपति जी ने महाभारत को लिपिबद्ध करना शुरू किया था. 10 दिन तक बिना रूके गणपति ने लेखन कार्य किया. इस दौरान गणेश जी पर धूल मिट्टी की परत जम गई. 10 दिन बाद यानी की अनंत चतुर्दशी पर बप्पा ने सरस्वती नदी में कर खुद को स्वच्छ किया. तब से ही हर साल 10 दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है.
गणेश चतुर्थी महत्व (Ganesh Chaturthi significance)
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं में भगवान गजानन को प्रथम पूजनीय माना गया है. गणेश चतुर्थी पर रिद्धी सिद्धि के दाता गणपति की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. जो गणेश चतुर्थी पर बप्पा की स्थापना करता है और 10 दिन तक विधि विधान से पूजा, सेवा करता है उसके सारे कष्ट गणपति जी हर लेते हैं. गणेश चतुर्थी व्रत के प्रभाव से संतान सुख प्राप्त होता है. साथ ही बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
विनायक चतुर्थी पर क्यों नहीं करते चंद्र दर्शन ?
पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणपति को हाथी का मुख लगाया जा रहा था तब चंद्रदेव मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. चंद्रदेव अपने सौंदर्य पर बहुत घमंड करते थे. चंद्रमा के उपहास से गणेश जी ने क्रोधित हो गए. उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे. तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा याचना की. गणपति ने कहा कि अब आप पूरे मास में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होंगे. गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि जो कोई व्यक्ति भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप यानी झूठा कलंक लगेगा, इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन निषेध है.
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