अनिल गुप्ता@दुर्ग। पुलिस मुख्यालय में आरक्षक पद से त्याग पत्र देने निकले दो जवानों को दुर्ग पुलिस ने आज अपने हिरासत में ले लिया है। आरक्षक संजीव मिश्रा और उज्ज्वल दीवान ने पुलिस विभाग के अधिकारियों पर जवानों के साथ शोषण का आरोप लगाया है। हालांकि दोनों आरक्षको पर पहले ही राजद्रोह का मुकदमा बीजापुर और सुकमा में दर्ज है।
पुलिस विभाग द्वारा दी गई कीट पेटी के साथ अपना त्याग पत्र लेकर ये दोनो आरक्षक दुर्ग से पुलिस मुख्यालय पैदल बस निकले ही थे। की पहले से ही एलर्ट दुर्ग पुलिस के जवानों ने इन्हे हिरासत में ले लिया। दरअसल संजीव मिश्रा, और उज्ज्वल दीवान के खिलाफ पहले से ही बीजापुर और सुकमा में राजद्रोह का अपराध दर्ज है। क्योंकि इन्होंने पुलिस के आरक्षको को ड्यूटी के दौरान शासन के विरुद्ध उकसाने और भटकाने का जुर्म किया है। जिसकी वजह से अब ये दोनो पुलिस विभाग से त्यागपत्र देने के लिए पैदल यात्रा शुरू की थी।आरक्षक संजीव मिश्रा का कहना की पुलिस विभाग में कार्यरत आरक्षक सहायक आरक्षक को सम्मानजनक वेतन आवास अवकाश और 8 घंटे ड्यूटी जैसे 45 सूत्रीय मांगो के निराकरण के लिए शासन ने जो कमेटी बनाई है, वह सवा साल बाद भी कोई निर्णय नहीं कर पाई है। जिसको लेकर उनके द्वारा संघर्ष किया जा रहा है। लेकिन उल्टे उस पर झूठा मुकदमा दर्ज किया जा रहा है।
दोनों आरक्षको को हिरासत में लेने के बाद इधर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजय ध्रुव का कहना था कि बीजापुर पुलिस ने दुर्ग पुलिस से संपर्क किया था, की राजद्रोह के मामले का आरोपी दुर्ग में है उसे पकड़कर सौपा जाएं, इसलिए आरक्षक को हिरासत में लिया गया है और जहां तक उनकी मांग की बात है, तो विभाग का कोई भी जवान यदि अनुशासन तोड़कर कोई मांग मंगवाता है, तो वह अनुचित है।
छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में कार्यरत आरक्षको की विभिन्न मांगो को लेकर जिस तरह से इन दोनो आरक्षक ने आवाज उठाई है, उसको लेकर पुलिस विभाग में भी खूब चर्चा है। लेकिन खुलकर समर्थन कोई नही कर रहा है।