रायगढ़। जिले के नगर पंचायत घरघोड़ा में अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर आज हुए चुनाव में पार्षदों ने वोट डाले। वोटिंग में भाजपा समर्थित अध्यक्ष को केवल 3 वोट ही मिले, जबकि दूसरे पक्ष को 11 वोट हासिल हुए। अब सवा तीन साल बाद कांग्रेस पार्टी ने घरघोड़ा नगर पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव के जरिये अध्यक्ष की कुर्सी को अपने कब्जे में कर लिया है।
इस पूरे मामले में कांग्रेस का पक्ष मजबूत करने के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी की ओर से सुबोध हरितवाल और चौलेश्वर चंद्राकर को भेजा गया था। वहीं कांग्रेस जिलाध्यक्ष अरुण मालाकार, जिला महामंत्री विकास शर्मा और राकेश पाण्डेय की रणनीति भी काम आयी।
बता दें कि पिछली बार कांग्रेस पार्षदों की संख्या ज्यादा होने के बावजूद अध्यक्ष पद पर भाजपा समर्थित प्रत्यासी शिशु सिन्हा की जीत हुई थी। हालांकि इतने अंतराल के दौरान अध्यक्ष शिशु सिन्हा के खिलाफ पार्षदों के बीच असंतोष बढ़ा। जिसके बाद घरघोड़ा के नगर पंचायत में अविश्वास प्रस्ताव को लेकर 2 निर्दलीय और 8 कांग्रेसी पार्षदों ने कलेक्टर को सौंपा था। कलेक्टर ने सीएमओ से परीक्षण कराने के बाद 1 मई को अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान कराने की घोषणा की थी।
नगर पंचायत घरघोड़ा में मतदान प्रशासनिक अधिकारी तथा पुलिसिया सुरक्षात्मक ढांचे के बीच मे 11 बजे आरंभ हुआ। जहां गहमागहमी स्थिति के बीच अविश्वास मत के लिए प्रक्रिया की शुरुआत की गई। इसमें जीत के लिए कांग्रेस को 10 मत हासिल करना था। जबकि संख्या बल के लिहाज से पंचायत में कांग्रेस के पास 8 पार्षद है तथा भाजपा के पास 5 एवं दो निर्दलीय है। इनमे से शुरुआत से ही एक निर्दलीय का समर्थन भाजपा को मिला हुआ था।
इधर मतदान आरंभ होते ही कांग्रेस खेमे की रणनीति व क्रास वोटिंग के भय से जिले से बाहर रखने की योजना कारगर साबित हुई। यही वजह रही कि वोटिंग में कांग्रेस को 11 मत मिले। जबकि भाजपा के खाते में 3 मत आए। वहीं एक महिला पार्षद का स्वास्थ्य खराब होने के चलते वह इस प्रक्रिया में हिस्सा नही ले पाई।
इस तरह उठापटक के दौर के बीच भाजपा समर्थित अध्यक्ष अध्यक्ष विजय शिशु सिन्हा कुर्सी बचाने में नाकाम रहे। इसके बाद अब घरघोड़ा नगर पंचायत में अगले अध्यक्ष को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। वैसे इस सफलता के बाद उपाध्यक्ष उस्मान बेग की ताजपोशी तय मानी जा रही है। अविश्वास मत में विश्वास मत हासिल करने से कांग्रेस खेमे में उत्साह का माहौल बना हुआ है, आतिशबाजी का दौर चल रहा है, जबकि भाजपा खेमे में निराशा देखी जा रही है।
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