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‘एक लोटा जल सारी समस्या का हल- प्रदीप मिश्रा शिवमहापुराण कथा में छठवें दिन शिवभक्तों की भीड़ ने तोड़े सारे रिकार्ड

छुरिया- ग्राम हालेकोसा में शिवमहापुराण कथा के छठवें दिन पांच दिन की कथा के भीड़ का रिकार्ड तोड़ दिया । सुबह से आयोजन स्थल पर शिवभक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा । हालात ऐसे हो गये कि कथा प्रारंभ होने के पहले पंडाल, सड़के शिवभक्तों से भर गया। लोग छतों से कथा का रसपान करते दिखे ।

अंतर्राष्ट््रीय कथावाचक पं. प्रदीप मिश्रा ने बाबा भोलेनाथ के भक्तों से कहा कि आज महाशिवरात्रि का दिन है । कथा मेें शिव से अपने मन की बात और भाव व्यक्त करना वो तुम्हारी झोली खुशी से भर देंगे । इस क्षेत्र में भगवान शंकर के भक्त है पूरा पंडाल, ग्राउण्ड, सड़क, पुल,गांव की छतों से भरी हो, गली भक्तों से भरी पड़ी है । एक कथा में पांच सौ लाउण्डस्पीकर लगे होते हैं, वो भी कम पड़ रहे हैं, ये अविरल भक्त है वो भगवान बाबा के भक्त हैं । उन्होंने कथा में कहा कि शिव के मंदिर में एक लोटा जल लेकर जाते हो वो आपके मस्तिष्क शरीर विवेक को दर्शाता है । भोलेशंकर को एक लोटा जल चढ़ाने से भक्तों की सारी समस्या का हल हो जाता है ।

उन्होंने कथा में भक्तों से लोटा एवं गिलास के अंतर के बारे में तर्कसंगत बताते हुए कहा कि तांबे और कांसे के लोटे में जल पीने से बीमारी नहीं होती, और अंग्रेजों के लायी हुई गिलास से बीमारी होती है । लोटा का जल पीने से पेट की बीमारी नहीं होती । आयुर्वेद का सर्च है, गूगल में सर्च कर लो और आज से लोटे का जल पीना प्रारंभ कर दंे तो गैस की बीमारी नहीं होगी । शिवतत्व कहता है शिवभक्ति बहुत सरल है पर शिव का पाना बहुत कठिन है । आप और हम साधारण है, जिंदगी साधारण है, दुनिया की सबसे बड़ी दौलत संपत्ति है और आपकी श्रेष्ठ बुद्धि है । सब कुछ होने के बाद बच्चे बुद्धिहीन है तो सब व्यर्थ है । दुनिया का सबसे बड़ा हथियार धैर्य है, क्रोध में आकर बहुत गड़बड़ कर जाते हैं । शंकर देव ने किसका संहार किया, भगवान की भक्ति को जो तोड़ रहा है उसका संहार किया । शिवतत्व है महाकुम्भ के त्रिवेणी घाट में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं ।

0 आम के पत्ते को प्रवेश द्वार में लगाने का बताया महत्व
शिवमहापुराण कथा में पं. पं्रदीपमिश्रा ने शिवभक्तों को बताया कि कामदेव के भीतर अभिमान आ गया था वे भगवान शिव की समाधि को तोड़ने पहुंच गये थे इससे भगवान शिव क्रोधित हो गये, डरकर कामदेव आम के पत्ते में छुप रहे थे, भगवान शिव के तीसरे नेत्र ने कामदेव को भस्म कर दिया । तब आम के वृक्ष ने बाबा भोलेनाथ से प्रार्थना की कि हमारी गलती क्या है इससे भगवान शंकर ने आम के पत्ते के वर दिया कि जिस द्वार पर तुम लगे रहोगे उस द्वारा पर काम, वासना, लोभ नहीं आयेगा ।

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