सूरजपुर। जिले के रामानुजनगर विकासखण्ड के ग्राम पोड़ी का प्राथमिक विद्यालय भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व 1920 से स्थापित है,तथा सबसे पहले दाखिले की गवाह बनी दाखिल खारिज पंजी आज भी सही सलामत स्थिति में है,
एक बारगी उस रजिस्टर को देखकर आप निश्चित ही अतीत की कल्पनाओं में खो सकते हैं ,
कि आज का ये सर्व सुविधा युक्त गांव स्टेट जमाने मे जंगलों के भीतर रहा होगा,पगडंडियाँ इसे अन्य बड़े स्थानों से जोड़ती रही होंगी, वैसे समय पर शिक्षा का दीप इस क्षेत्र में इस विद्यालय के माध्यम से जलता होगा, इस दस्तावेज में अंकित नामों के पीछे स्थानीय ग्राम वासियों के पुरखों की कहानी है, कुछ पुराने लोग कुछ पीढ़ी तक का नाम लेकर उन्हें पहचानते हैं, और बहुत से नाम अब लोगों के स्मृति पटल से विस्मृत भी हो गए हैं।
भारतीय आज़ादी से 27 वर्ष पूर्व स्थापित तथा अपने स्थापना के स्वर्ण जयंती के निकट यह स्कूल आज भी नव निहालों को शिक्षा प्रदान कर रहा है, जहां कई बार दीमक आदि के दुष्प्रभाव से अभिलेखों के नष्ट हो जाने या मौसम के प्रभाव से अभिलेख जीर्ण शीर्ण होने की बात सुनी जाती है। वहीं संस्था के प्रधान पाठक तथा स्थानीय निवासी श्री इंद्र प्रताप सिंह इस दस्तावेज के साथ अन्य दस्तावेजों को भी बहुत सम्भाल के रखते हैं जो कि अनुकरणीय है। तो अगर आपको भी देखना है ये ऐतिहासिक विरासत तो पोड़ी चले आइये।