प्रति वर्ष महासमुंद जिले में समर्थन मूल्य में होने वाली धान खरीदी में करोड़ों की गड़बड़ियां सामने आती है। कूटरचना कर सरकार को करोड़ों कr चपत लगाई जाती है। खरीदी केंद्रों में होने वाली गड़बड़ी को रोकने के लिए इस बार जिले के कलेक्टर विनय कुमार लंगेह एक्शन में हैं।
उन्होंने जिले के अलग-अलग धान खरीदी केंद्रों में आई अनियमितता को लेकर सख्ती बरतने की बात कही है। उनका कहना है कि जिन धान खरीदी केंद्रों में गड़बड़ियां सामने आई है, उनमें प्रबंधक और ऑपरेटर के अलावा अधिकारियों की मिलीभगत रहती है। जिसे देखते हुए इस बार धान खरीदी की अनियमितता को रोकने के लिए खरीदी केंद्रों में लंबे समय से जमें ऑपरेटर और प्रबंधकों को बदला जाएगा।
इनमें खास कर वह खरीदी केंद्र प्राथमिकता में रहेंगे, जिनकी शिकायतों की लिस्ट लंबी है। उन्होंने साफ तौर पर यह भी कह दिया कि मिलीभगत और रकबा को लेकर यदि इस बार कोई गड़बड़ियां सामने आती हैं, तो सीधे तौर पर अधिकारी जिम्मेदार होंगे। जिन्हें बख्शा नहीं जाएगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 के लिए समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन और कस्टम मिलिंग की नीति को मंजूरी दे दी है। महासमुंद जिले सहित प्रदेशभर में 14 नवंबर 2024 से राज्य के किसानों से नगद और लिंकिंग के जरिए धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जो 31 जनवरी 2025 तक चलेगी।
प्रदेश में इस वर्ष 160 लाख टन धान उपार्जित किए जाने का अनुमान है। जिसमें महासमुंद जिले का लक्ष्य 12 लाख 45 हजार टन है। जिले में 14 नवम्बर से शुरू होने वाले धान खरीदी को लेकर तैयारियां शुरू कर दी गई है। कलेक्टर के इस एक्शन प्लान से अब लंबे समय से जमे धान खरीदी केंद्रों के ऑपरेटर और प्रबंधकों में हड़कंप मचने लगा है।
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