नितिन@रायगढ़.. यूं तो पुलिस का काम नागरिकों की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनाए रखना होता है। लेकिन रायगढ़ पुलिस के कुछ कर्मी अपने विवादित हरकतों से हमेशा सुर्खिया बटोरते रहे हैं।
एक ऐसा पुलिसकर्मी जो कोतरा रोड थाने में पदस्थ प्रधान आरक्षक ने ऐसे विवादित घटना को अंजाम दिया जिसे देखने सुनने वाले ज्यादातर नागरिक वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से इसके विरुद्ध उचित कार्यवाही करने की मांग करते दिख रहे हैं। इधर घटना का एक दुखद पहलू यह है कि इस घटना के बाद पीड़ित व्यक्ति न्याय पाने के लिए पूरा दिन शिकायत लेकर दर दर भटकता रहा और फिर लेकिन एसपी कार्यालय पहुंचा मगर छुट्टी होने के वजह से वहां किसी से मुलाकात नहीं हो पाई।
बहरहाल पीड़ित कोतरा रोड थाना अपनी शिकायत लेकर पहुंचा है देखना यह होगा कि जिस थाने के प्रधान आरक्षक के द्वारा बेरहमी से पिटाई गई की गई है उसी थाने में उसके खिलाफ थाना प्रभारी शिकायत लेते हैं या नहीं।अथवा पीड़ित व्यक्ति पर दबाव बनाकर थाने से ही भगा देते हैं। पीड़ित का कहना है कि जिस पुलिस वाले ने मुझे मारा वह नशे में धुत था। वह मारने के साथ मुझे गंदी-गंदी गालियां दे रहा था। जब पुलिस वाला मुझे अकारण डंडे से मार रहा था,तब वहां पर पुलिस वाले को भीड़ में खड़े लोग मना भी कर रहे थे। लोगों ने उसे बताया भी कि पीड़ित व्यक्ति पैरालिसिस से ग्रस्त है। सर उसे मत मारो मगर पुलिस वाले पर वर्दी और शराब का नशा चढ़ा हुआ था वह किसी की कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। इसलिए वहां पर आसपास लोगों की बात ना सुनी वह अपने डंडे का अधिकार जमाते हुए मुझे दम तक मारा और सार्वजनिक रूप से मेरी बेइज्जती की।
इस मामले को लेकर जब कोतरा रोड़ थाना प्रभारी विजय चेलक से बात की तो उन्होंने आम कैमरा कुछ कहने से साफ-साफ मना कर दिया और कहा कि पुलिस को डंडा काहे दिया जाता है। थाना प्रभारी का इस तरह बयान से लगता है कि पुलिस को अगर डंडा दिया जाता है तो वह सरे आम किसी भी व्यक्ति को कही पर भी अकारण मारपीट कर सकती हैं। पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी का इस तरह से बयान दिया जाना बेहद अफसोस जनक स्थिति को बयां करता है।