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क्या राज्य सरकार सुन नहीं रही जो सड़क के लिए दिल्ली की रोड़ पर लुढ़क गया सरपंच?

नेशन अलर्ट / 9770656789

महासमुंद. महज दो किलोमीटर लंबी सड़क के लिए दिल्ली की रोड़ पर लुढकने वाले सरपंच के कृत्य से नया सवाल खडा़ हो गया है. क्या राज्य सरकार के मंत्री, क्षेत्र के विधायक-सांसद और संबंधित विभाग के अधिकारी अथवा जिले के कलेक्टर इतने अनसुने हो गए हैं कि एक सरपंच को गाँव की सड़क के लिए दिल्ली की सड़क पर लुढ़कना पडा़ ?

मामला महासमुंद जिले के बम्बूरडीह ग्राम पंचायत का है. यहाँ के सरपंच सड़क को लेकर “दिल्ली की सड़क” पर लुढ़क आए हैं. भले ही छत्तीसगढ़ से लेकर दिल्ली तक सरपंच की इस गाँधीगिरी की चर्चा हो रही है लेकिन इससे कई सवाल भी खडे़ हो गए हैं.

संपर्क किया था लेकिन . . .

गाँव की सड़क को लेकर परेशान ग्रामीणों ने अपने स्तर पर चँदा कर उसे सरपंच के हाथों में सौंपा. ग्रामीणों की माँग और सलाह पर सरपंच शत्रुहन चेलक ने दिल्ली का रुख किया.

दिल्ली में उसने केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मिलने की ठान रखी थी. इसी उद्देश्य से वह मंत्री श्री गडकरी के आवास पर लुढ़कते हुए घुस सोमवार को घुस गया.

सिर्फ दो किलोमीटर की सड़क की मांग को लेकर उसने दिल्ली में बीते सोमवार को जो गाँधीगिरी की उससे अब राज्य सरकार और उसके जिम्मेदार तंत्र पर इतना दबाव है कि कोई भी कुछ बोलने को तैयार नहीं है. और तो और सरपंच चेलक से भी बात नहीं हो पाई.

हालाँकि नेशन अलर्ट ने वस्तु स्थिति से अवगत होने महासमुंद के प्रशासन से संपर्क करने का प्रयास किया. महासमुंद के जिलाधीश प्रभात मलिक(आईएएस) से आज दिन के 11.41 बजे संपर्क किया गया था. उनके मोबाइल *. * . * 85591पर बातचीत करने का प्रयास किया गया लेकिन मोबाइल पर सिर्फ़ रिंग बजती रही.

हो सकता है कि, कलेक्टर किन्हीं प्रशासनिक कार्यों अथवा विधानसभा के मानसून सत्र की व्यस्तता के चलते मोबाइल नहीं उठा पाए हों; इस कारण ( फिर भी ) प्रशासनिक पक्ष जानने नेशन अलर्ट ने महासमुंद कलेक्टर मलिक साहब के मोबाइल पर संदेश भी कर रखा है.

. . . इधर गाँव के सरपंच शत्रुहन चेलक से भी नेशन अलर्ट ने संपर्क करने का प्रयास किया था.उनके पास दो सिम बताए जाते हैं लेकिन बात नहीं हो पाई.

सरपंच का एक नंबर 77730 * . * . * बंद आ रहा था तो दूसरे नंबर * . * . * 59915 पर गुरुवार दिन के 12.02 बजे, 11.59, 11.58 और 11.57 बजे बात करने की कोशिश की गई जोकि सफल नहीं हो पाई.

उल्लेखनीय है कि ग्राम बावनकेरा से रामाडबरी तक पक्की सड़क के शीघ्र निर्माण की मांग काफी समय से की जा रही है. ग्राम पंचायत बम्बूरडीह के आश्रित गाँव का नाम रामाडबरी बताया जाता है.

इसी रामाडबरी से बावनकेरा तक 2 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क के लिए सत्र 2023 में 2 करोड़ 53 लाख 71 हजार रुपए की राशि स्वीकृत हो चुकी है.

बावजूद इसके टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं होने के कारण पक्की सड़क का निर्माण नहीं हो पाया. ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के दिनों में समस्याएं और भी बढ़ जाती है.

पक्की सड़क के अभाव में इन दिनों बच्चों को शाला आने-जाने में परेशान होना पड़ता है. बारिश के समय सड़क पर चलना भी मुश्किल हो जाता है.

ग्रामीणों के अनुसार मरीजों को चारपाई में लेकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है क्यूं कि गांव के अंदर वाहन नहीं आ पाते हैं. गांव में सड़क न होने की वजह से यहां युवकों की शादी भी नहीं हो रही है. लोग इस गांव में रिश्ता करने से बचते हैं.

बहरहाल, फरियाद अपनी जगह है . . . सरपंच सही है कि गलत यह अपनी जगह पर है लेकिन इससे छत्तीसगढ़ और यहाँ की सरकार की भद पिट रही है.

कारण यह है कि इस सड़क को लेकर उक्त सरपंच और ग्रामीण कई मर्तबा संबंधित विभाग के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से मांग कर चुके थे. जब माँग पर कान नहीं धरे गए तो गाँव वालों के सहयोग से दिल्ली में सरपंच ने ऐसा धमाका किया है कि कान के परदे फटने को आए हैं.

http://www.nationalert.in/?p=12469