रतनपुर। बिलासपुर जिले की ऐतिहासिक नगरी रतनपुर कभी कल्चुरीकालीन शासकों की राजधानी रही है। यहां से 8 किलोमीटर दूर स्थित पोड़ी के ग्राम मोहदा में खाली पड़ी शासकीय जमीन को खेत बनाने समतल करने के लिए JCB जमीन से की जा रही खुदाई के दौरान प्राचीन मूर्तियों और पत्थरों का निकलना शुरू हुआ। जब तक यह बात गांव के जिम्मेदार लोगों तक पहुंचती तब तक काफी खुदाई हो चुकी थी और मशीन से कुछ मूर्तियां टूट-फूट चुकी थी। पंचायत ने इस काम को तत्काल बंद करवाया और इस भूभाग को अपने संरक्षण में ले लिया।
पोड़ी निवासी पूर्व जनपद सदस्य यासीन खान ने TRP न्यूज़ को बताया कि दुष्यंत पाठक नमक एक ग्रामीण ने सरकार की खाली पड़ी इस जमीन पर खेत बनाने की नीयत से JCB मशीन से खुदाई करवाई। इस दौरान यह मूर्तियां मिलीं। ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व में यहां तालाब की खुदाई के दौरान कुछ मूर्तियां मिली थीं। तब ग्रामीणों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और मूर्ति को तालाब के किनारे रखवा दिया था। कल जब पास के भूभाग में मूर्तियां निकलीं तब पंचायत प्रतिनिधियों ने तत्काल खुदाई रुकवाई और उच्चाधिकारियों को इसकी सूचना भेजी। यासीन खान ने बताया कि ये इलाका रतनपुर के पास का ही है मगर इस गांव का कोई प्राचीन इतिहास ग्रामीणों की जानकारी में नहीं रहा है। यहां मूर्तियों का मिलना हम लोगों के लिए बड़े ही कौतुहल का विषय है। उन्होंने अनुमान लगाया कि संभवतः यहां कोई प्राचीन मंदिर होगी जिसके अवशेष मिले है। इस जगह को संरक्षित करके खुदाई करने पर पुरातात्विक महत्त्व की चीजें मिलने की उन्हें पूरी उम्मीद है।
पुरातत्व संग्रहालय एवं अभिलेखागार, रायपुर के उप संचालक अमृत लाल पैंकरा ने TRP NEWS संवाददाता से हुई बातचीत में बताया कि प्रथम दृष्टया ये मूर्तियां 11वीं – 12 वीं शताब्दी की नजर आ रही हैं। इनमें से प्रमुख मूर्ति धर्माचार्य या उपासक की हो सकती है, जो प्राचीन मंदिर के ऊपर अक्सर ग्रीवा और आमलक के बीच जड़ा रहता है। हालांकि प्रत्यक्ष अवलोकन से ही इसका पता चल सकेगा, पर यह तय है कि मूर्तियां और भग्नावशेष कल्चुरी कालीन हैं। चूंकि रतनपुर कल्चुरी राजाओं की राजधानी रही है, इसलिए आसपास के इलाके में इनसे मिलती-जुलती चीजें मिलना स्वाभाविक है। अमृत लाल पैंकरा ने बताया कि कल पुरातत्व विशेषज्ञ और उप संचालक पीसी पारख के नेतृत्व में एक टीम मोहदा जाएगी।
बहरहाल खुदाई के दौरान मिली मूर्तियों के इतिहास के बारे में पुरातात्विक जांच से ही पता चल सकेगा कि उनका क्या इतिहास रहा है। वैसे रतनपुर ही नहीं बल्कि पास के कोरबा जिले में भी पुरातात्विक मूर्तियां और अन्य वस्तुएं समय-समय पर मिलती रही हैं। फ़िलहाल उनका पता लगाकर उन्हें सहेजने और संरक्षित करते हुए सूक्ष्मता से अनुसंधान करने की जरुरत है।