रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ में जमीन की रजिस्ट्री के लिए सरकार ने सुगम ऐप लांच किया है. इससे अब घर बैठे ही मोबाइल से अपनी जमीन की ख़रीद-बिक्री कर सकते हैं. सोमवार को इस ऐप का पहला दिन था लेकिन पहले दिन यह ऐप खुला नहीं, जिसके चलते इस ऐप के जरिए रजिस्ट्री नहीं हो पाई.
सरकार ने रजिस्ट्री की पुरानी व्यवस्था में परिवर्तन करते हुए इस नई व्यवस्था को लागू किया है. सरकार का दावा है कि इससे रजिस्ट्री की प्रक्रिया अब पेपरलेस, कैशलेस और फेसलेस हो जाएगी. यह व्यवस्था पूरी तरह से डिजिटल है.
इस संबंध में सरकार ने शनिवार को आदेश जारी किया था.
इधर सुगम ऐप लांच होने के सथ ही रजिस्ट्री कराने वाले वकील और दस्तावेज लेखक भड़के हुए हैं. इस ऐप के आने से दस्तावेज लेखकों और स्टाम्प वेंडरों को रोजगार छीनने का भय सता रहा है.
इसी वजह से इस ऐप का विरोध करते हुए प्रदेश भर के दस्तावेज लेखक और स्टाम्प विक्रेता सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं.
इस सुगम ऐप के जरिए एनजीडीआरएस प्रणाली में पक्षकार सिटीजन लॉगिन में पूर्ण दस्तावेज तैयार करने के बाद, पंजीयन के लिए ऑनलाइन आपाइंटमेंट लेना होगा.
इसमें पक्षकारों, गवाहों के नाम संपत्ति का विवरण आदि दर्ज किया जाएगा.
इसके बाद बिक्रीशुदा संपत्ति की तीन दिशाओं से फोटो, जमीन मालिक और पक्षकार के साथ अक्षांश और देशांतर भोगोलिक स्थिति को रजिस्ट्री सॉफ्टवेयर में अपलोड करना होगा.
इसके बाद इसमें नामांतरण वाले दस्तावेजों में फोटो अपलोड की जाएगी.
सरकार का कहना है कि इस नई व्यवस्था के लागू होने से जमीन रजिस्ट्री में बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो जाएगी. इससे संपत्ति संबंधी धोखाधड़ी और टैक्स इवेशन में मदद मिलेगी.
रजिस्ट्रेशन के बाद आवेदन की जांच के लिए 15 दिनों के भीतर रजिस्ट्रेशन कार्यालय के अधिकारी मौके पर पहुंच कर वेरिफिकेशन करेंगे.
इससे जमीन का रजिस्ट्रेशन करने के लिए पंजीयन कार्यालय का चक्कर लगाना नहीं पड़ेगा. साथ ही दिन भर लाइन लगकर टोकन का इंतजार करने से भी छुटकारा मिल जाएगा.
इस प्रक्रिया में कैशलेस भुगतान के लिए नेट बैंकिंग व पीओएस का उपयोग होगा.
इसके अलावा पंजीयन मंत्रालय ने डीड जनरेशन सिस्टम विकसित किया है, जिससे इच्छुक व्यक्ति घर बैठे ही रजिस्ट्री के दस्तावेज तैयार कर सकते हैं.
पंजीयन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार इस सुगम एप से रजिस्ट्री प्रक्रिया शुरू होने के बाद पेपरलेस प्रक्रिया चालू करने के लिए आधार व पैन कार्ड के इंटीग्रेशन का काम चल रहा है.
इस प्रक्रिया के पूरी होने के बाद जमीन खरीदारी में बनने वाले गवाहों को भौतिक रूप से उपस्थित होने की अनिवार्यता खत्म हो जाएगी.
इसके बाद अगले 1 महीने में फेस लेस के प्रथम चरण में हाउसिंग बोर्ड, आरडीए, कॉलोनाइजर्स को यह सुविधा मिल जाएगी.
इसके लिए ट्रायल जल्दी ही पूरा कर लिया जाएगा. इससे पक्षकारों को रजिस्ट्री ऑफिस में आए बिना रजिस्ट्री कराने की सुविधा मिलेगी.
इधर दस्तावेज लेखक और स्टाम्प वेंडरों ने सुगम ऐप का विरोध करते हुए सोमवार से अनिश्चिकालीन हड़ताल शुरू कर दिया है.
उनका कहना है कि इस ऐप के लागू हो जाने से हमारी नौकरी खत्म हो जाएगी. हमारे सामने अब रोजी-रोटी की समस्या आ गई है. उनका कहना है कि स्टाम्प वेंडर वर्षों से शासन के लिए राजस्व जुटाने का काम करते आ रहे हैं. 1988 में जो राज पत्र जारी हुआ था, उसी के आधार पर आज भी काम कर रहे हैं.
वेंडर और दस्तावेज़ लेखकों का कहना है कि उस समय से हमें दस्तावेज लेखन के लिए 20,40,75 रुपये मिलते हैं. उस पर कभी बढोत्तरी नहीं हुई. इसके बाद सरकार ने ई-स्टांप की शुरुआत की, जिससे हमारा रोजगार लगभग ख़त्म हो गया.
दस्तावेज लेखकों और स्टाम्प वेंडरों के हड़ताल में चले जाने के कारण सोमवार और मंगलवार को प्रदेश भर के रजिस्ट्री दफ्तर में कामकाज ठप रहा.
सभी जिलों में कार्यालय के बाहर सैकड़ों की संख्या में दस्तावेज़ लेखक और स्टाम्प वेंडर हड़ताल पर डटे रहे.
इस दौरान आक्रोशित दस्तावेज लेखकों और स्टांप वेंडरों ने वित्त मंत्री ओपी चौधरी के निर्णय का विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी करते हुए पंजीयक कार्यालयों में हल्लाबोल प्रदर्शन किया.
स्टांप वेंडर और दस्तावेज़ लेखकों का कहना है कि सुगम ऐप में कई समस्याएं हैं. फोटो और दस्तावेज अपलोड करने के लिए मोबाइल पर नेट और नेटवर्क होना आवश्यक है.
ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता. ऐसे में फोटो या दस्तावेज अपलोड करना मुश्किल है.
इसी तरह जमीन बेचने के बाद एनजीडीआरएस में सभी दस्तावेज अपलोड करने के बाद केवल विक्रेता को ही अपनी जमीन के साथ फोटो लेने जाना होगा. फिर वापस आना होगा. इससे रजिस्ट्री में विलंब होगा.
कहा जा रहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाला किसी दूसरे की जमीन पर खड़ा होकर फोटो खिंचवा सकता है. इसे वेरीफाइ करने का सिस्टम अभी तक सामने नहीं आया है.
इसी प्रकार जमीन खरीदने या बेचने वालों में हर कोई पढ़ा लिखा नहीं हो सकता. इसका भी फायदा फर्जीवाड़ा करने वाला उठा सकता है.
इस संबंध में छत्तीसगढ़ प्रदेश दस्तावेज लेखक जन कल्याण संघ के प्रदेश अध्यक्ष मनीष गुप्ता का कहना है कि हम लोगों ने वर्षों से एक अर्धशासकीय सेवक के तौर पर अपनी सेवा देते हुए शासन के लिए राजस्व जुटाने का काम किया है. हम लोग ही आम जनता और शासन के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में वर्षों से पीढ़ी दर पीढ़ी काम करते आ रहे हैं.
इसके बावजूद हमारे योगदान को सरकार ने अनदेखा कर सुगम ऐप को लागू कर दिया है. हमारी मांग है कि इस सुगम ऐप को समाप्त करे. ऐसा नहीं करने पर हमें अपने विभाग में समायोजित करे.
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