निखिल कुमार सोनी
रायपुर। छत्तीसगढ़ में GST चोरी का बड़ा मामला सामने आया है। प्रदेश में GST को बचाने (18%- 5% = 13%) कंपनियों द्वारा केमिकल युक्त कीटनाशक को जैविक कीटनाशक बताकर बेचा जा रहा है। इससे सरकार को सीधे हजारों करोड़ के राजस्व के नुकसान की संभावना है। ऐसा नहीं है कि यह केवल राजस्व का ही नुकसान है। व्यापारी, किसानों को भी इसकी आड़ में अच्छी-खासी चपत लगा रहे हैं। टीआरपी के पास इसके दस्तावेज उपलब्ध हैं।
50 ml की नकली किटनाशक की कीमत 500 रुपए है, छत्तीसगढ़ में जैविक कीटनाशक पर 5% GST है, केमिकल युक्त कीटनाशक पर 18 प्रतिशत जीएसटी है।
500 का 5% = 25 रु (जैविक कीटनाशक पर GST)
500 का 18% = 90 रु (केमिकल युक्त कीटनाशक पर GST)
18 – 5 = 13% जो कि 65 रु के बराबर है
इसका मतलब यह है कि प्रत्येक 50 ml के कीटनाशक यूनिट पर 65 रु के GST की चोरी होने की संभावना है।
टीआरपी की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार इस तरह से प्रदेश में कंपनियों द्वारा केमिकल युक्त कीटनाशक को जैविक बताकर बेचा जा रहा है। इसपर कंपनियां 13 प्रतिशत GST भी बचा रही हैं। टीआरपी के सूत्रों के अनुसार प्रदेश के बाजार में बिकने वाले जैविक कीटनाशकों में से 60—70% नकली है। जिन्हें बेचकर कीटनाशक कंपनियां GST बचाकर भरपूर मुनाफा कमा रही हैं। बाजार में मिलने वाला तेजाब समेत कई अन्य कीटनाशक।
इन कीटनाशकों को व्यापारी ऑर्गेनिक बताकर बेच रही हैं। जबकि ये कैमिकल युक्त हैं। इससे सरकार को राजस्व का भारी नुकसान हो रहा है। राजधानी के बाजार में मिलने वाला तेजाब ऐसा ही फर्जी कीटनाशक है, जो जैविक के नाम पर बेचा जा रहा है। जब टीआरपी ने इसके निर्माता से बात करने के लिए फोन पर संपर्क किया जो इसका पता और फोन नंबर ही गलत मिला। बता दें कि तेजाब कीटनाशक के नाम पर थाने में भी शिकायत दर्ज है। इसी तरह कोंडागांव में भी एक अन्य फर्जी कीटनाशक को जैविक बताकर किसानों को बेचा जा रहा है।
बता दें कि इन कीटनाशकों को बनाने के लिए कई ऐसे केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है जो सेहत के लिए हानिकारक है। सेहत को होने वाले नुकसान को देखते हुए इन कैमिकल्स को 15-20 साल पहले ही बैन किया जा चुका है। आपको बता दें कि नकली खाद- कीटनाशक से किसानों की मौत का मामला विधानसभा में भी उठाया जा चुका है।
मार्केट में उपलब्ध किटनाशकों में डेल्टा BSE और अन्य हानिकारक रसायन की मात्रा मौजूद है। जो कि कीटनाशक अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन है। साथ ही यह IPC 420, मिसब्रांडिंग का प्रकरण बनता है।
ऐसा नहीं है कि इसकी शिकायत नहीं की गई है। बेमेतरा जिले में कलेक्टर को इसकी शिकायत भी की जा चुकी है। मगर आज तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गई।
टीआरपी अपने सामाजिक दायित्व का निर्वाहन करते हुए बाजार में ऐसे कीटनाशकों पर रिसर्च किया। जिसके बाद ही इस मुद्दे को प्रकाशित कर रहा है। राजस्व को हो रहे करोड़ो के नुकसान पर सरकार अब क्या कदम उठाती है यह सोचने का विषय है।
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