रायपुर। चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से नीट पीजी की मेरी सूची जारी होने के साथ ही इस पर विवाद शुरू हो गया है। लिस्ट में चयनित छात्रों में कुछ ऐसे छात्र भी हैं जिन्हें EWS कोटे से मेडिकल कॉलेज में पीजी की सीट अलॉट हुई है। जबकि हाईकोर्ट के अनुसार राज्य में 50 प्रतिशत से अधिकतम आरक्षण का प्रवधान है। वहीं सीएम भूपेश बघेल द्वारा EWS एवं एसटी आरक्षण को संशोधित कर पुनः लागू किए जाने का प्रयास किया जा रहा है। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग का कहना है कि हम केंद्र के नियमों से बंधे हैं।
EWS कोटे से 5 सीटें हुई अलॉट
10 अक्टूबर को जारी किए गए लिस्ट में 5 ऐसे छात्र शामिल हैं जिन्हें इडब्लूएस कोटे के तहत विभाग अलॉट कर दिया गया है। जबकि वर्तमान में प्रदेश में इडब्लूएस आरक्षण और एसटी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि राज में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद से शासन द्वारा संशोधित आरक्षण नियम पर विचार किया जा रहा है। वहीं राज्य सरकार संशोधन कर EWS कोटा लागू करने पर विचार कर रही है।
इतना ही नहीं डीएमई द्वारा 10 अक्टूबर को चयनित छात्रों की लिस्ट भी जारी की गई थी। जिसमें प्रथम स्थान पर चयनित डॉ. रवि कुमार जांगड़े को 200 प्रतिशत बोनस अंक दिया गया है। जबकि प्रवेश परीक्षा में मिले अंक का अधिकत 30 प्रतिशत बोनस अंक ही दिया जा सकता है।
बता दें कि 10 अक्टूबर को डीएमई की साइट पर चयनित छात्रों की लिस्ट जारी की गई थी। इस लिस्ट में रवि कुमार जांगड़े को टॉप पर जगह मिली है। उसे नीट पीजी में 291 नंबर मिले हैं। 200 प्रतिशत बोनस अंक के साथ 669.3 अंक के साथ छात्र को MD Radiodiagnosis विषय अलॉट किया गया है। जिसके बाद से यह लिस्ट विवादों में आ गई है। उपरोक्त संदर्भ में प्रवेश परीक्षा के प्राप्तांक का अधिकतम 30 प्रतिशत बोनस अंक के रूप में लेने का प्रावधान है। लेकिन रवि कुमार 669.3 अंकों के साथ उन्हें लिस्ट में टॉप पर रखा गया है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि कोई छात्र मात्र 100 नंबर को प्रश्न पत्र में 100 से ज्यादा नंबर कैसे प्राप्त कर सकता है।
क्या कहते हैं डीएमई
इस मामले में जब टीआरपी ने डीएमई डॉ. विष्णु दत्त से चर्चा करने की कोशिश की तो पहले उन्होंने इस मामले में चर्चा करने से मना करते हुए डीएचएस से बात करने कहा। मगर बाद में उन्होंने कहा कि बोनस अंक देना हमारा काम नहीं है। वहीं EWS आरक्षण के संबंध में कहा कि नीट पीजी की लिस्ट जो तैयार की गई है वह गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के नियमों को ध्यान में रख कर ही तैयार की गई है। इसमें किसी प्रकार के नियमों का उल्लंघन नहीं किया गया है।
वहीं जब इस मामले में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव से जब टीआरपी ने संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने कॉल रिसिव नहीं किया। इसके अलावा उन्होंने टीआरपी द्वारा भेजे गए मैसेज का भी जवाब नहीं दिया।
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