रायपुर/ नई दिल्ली 01 मई।उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के फैसले पर फिलहाल रोक लगा दी है।इस निर्णय से छत्तीसगढ़ में फिलहाल 58 प्रतिशत आरक्षण बहाल हो गया है।
उच्चतम न्यायालय की न्यायमूर्ति बी.आर.गवई,न्यायमूर्ति विक्रमनाथ,न्यायमूर्ति संजय कौल की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने राज्य़ सरकार की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के फैसले पर रोक लगा दी।राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पत्र रखते हुए अदालत को बताया कि उच्च न्यायलय के निर्णय के बाद से राज्य में सरकारी भर्तियां रूक गई है।
राज्य में तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2012 में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत,अनुसूचित जाति को 12 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़े वर्गे को 14 प्रतिशत आरक्षण कुल 58 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान कर दिया था।राज्य के इस निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। उच्च न्यायालय ने 2022 में इसे रद्द कर दिया था।राज्य सरकार ने इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील की थी।
भूपेश सरकार ने इसके बाद विधानसभा में नया आरक्षण विधेयक पेश किया जोकि पारित होकर हस्ताक्षर के लिए राजभवन में लम्बित है। उच्च न्यायलय के आरक्षण को रद्द करने तथा राज्यपाल के विधेयक पर हस्ताक्षर नही करने से राज्य में सरकारी नौकरियों में भर्ती बन्द है।इसके साथ ही कालेजों में प्रवेश में मिलने वाले आरक्षण भी विद्यार्थियों को नही मिल पा रहा था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उच्चतम न्यायालय के छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द करने के फैसले पर रोक लगाने का स्वागत करते हुए ट्वीट कर कहा कि छत्तीसगढ़ के युवाओं के खिलाफ भाजपा के षडयंत्र के विरूद्ध हमारा संघर्ष जारी रहेगा।राज्यपाल नए विधेयक पर हस्ताक्षर करें,तभी सही न्याय मिलेगा। लड़ेगे-जीतेंगे।
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