रायपुर | संवाददाता : आदिवासियों और अनुसूचित जाति के लोगों के लिए केंद्र की एक ऐसी योजना भी है, जिसका लाभ छत्तीसगढ़ में पिछले 8 सालों में केवल 3 लोगों को मिला है. इस योजना का नाम है एनएसएसएच.
इस योजना के ताज़ा आंकड़ों से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ के अनुसूचित जाति और आदिवासियों में बहुत छोटे, छोटे या मध्यम उद्योगों के संचालन में कोई दिलचस्पी नहीं है. यही कारण है कि इन 8 सालों में केवल 3 लोगों ने ही इस योजना का लाभ लिया.
केंद्र सरकार का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय अक्टूबर 2016 से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एव अनुसूचित जनजाति हब स्कीम यानी एनएसएसएच स्कीम चला रहा है. सरकार का दावा है कि इससे अनुसूचित जाति एव अनुसूचित जनजाति के बीच उद्यमशीलता को बढ़ावा मिलेगा. सरकार का दावा है कि सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में नियमित अंतराल पर विभिन्न स्तरों पर इस स्कीम के कार्यान्वयन की निगरानी भी की जा रही है.
इस स्कीम को 15वें वित्तीय चक्र अर्थात वर्ष 2021-22 से वित्तीय वर्ष 2025-26 तक जारी रखा गया है.
इस एनएसएसएच स्कीम के घटक ‘विशेष ऋण संबद्ध पूंजी सब्सिडी स्कीम’ के अंतर्गत आदिवासी या अनुसूचित जाति के स्वामित्व वाले एमएसई उद्योग धंधे को 25 लाख रुपये तक के संयंत्र और मशीनरी यानी उपकरण की खरीद के लिए बिना किसी क्षेत्र विशेष प्रतिबंध के 24 प्रतिशत पूंजी सब्सिडी दी जाती है.
लेकिन केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ उठाने में छत्तीसगढ़ पीछे रह गया. लगभग 44 फ़ीसदी अनुसूचित जाति और जनजाति की आबादी वाले छत्तीसगढ़ में 2016 से अब तक केवल 3 लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाया है.
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