एनपीजी न्यूज नेटवर्क कुश्ती बिरादरी के कोच और पहलवानों के माता-पिता, प्रदर्शनकारी विनेश फोगट, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और तीन अन्य पहलवानों को एशियाई खेलों और विश्व चैम्पियनशिप ट्रायल में भाग लेने से दी गई छूट को वापस लेने के लिए एकजुट हो गए हैं।
इन प्रदर्शनकारी पहलवानो को चयन प्रक्रिया से छूट देने के फैसले ने कोचों और अभिभावकों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है। जो यह तर्क देते हैं कि सिलेक्शन प्रक्रिया निष्पक्ष होनी चाहिए। छूट प्राप्त पहलवानों के प्रति कथित तौर पर पक्षपात दिखाने के लिए भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के ad hoc पैनल की आलोचना की गई है, जिसमें संगीता फोगट, बजरंग की पत्नी, सत्यवर्त कादियान, साक्षी के पति और जितेंद्र किन्हा शामिल हैं।
गौरतलब है कि इन छूट प्राप्त पहलवानों ने हाल ही में भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना दिया था। और उन पर कई महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था।
चूंकि खेल जगत चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता की मांग कर रहा है, इसलिए छूट वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है।
कुश्ती समुदाय के भीतर प्रमुख हस्तियां, जैसे उभरते सितारे सुजीत के कोच दयानंद कलकल, जिन्हें 65 किग्रा वर्ग में बजरंग का एक मजबूत विरोधी माना जाता है, अंशू और सोनम मलिक के पिता, और अंडर -20 की विश्व चैंपियन महिला पहलवान अंतिम पंघाल के कोच विकास भारद्वाज ने IOA पैनल के फैसले पर असहमति जताई है।
कलकल ने विशेष रूप से कहा कि उन्होंने डब्ल्यूएफआई ad-hoc panel (तदर्थ पैनल) के प्रमुख भूपेंदर सिंह बाजवा को इस भेदभाव और चिंताओं से अवगत कराया है। और निष्पक्ष और भेदभाव रहित ट्रायल की आवश्यकता पर जोर दिया है। कलकल ने बताया कि बाजवा ने उन्हें भरोसा दिया है कि इन छह पहलवानो को दी गई छूट रद्द कर दी जाएगी और 11 जुलाई के चुनावों के बाद नए फेडरेशन (महासंघ) के तहत ट्रायल कराएं जाएंगे।
छूट प्राप्त पहलवानों में विनेश और बजरंग जाने-माने और स्थापित पहलवान हैं। लेकिन किन्हा, संगीता, साक्षी और सत्यव्रत को दी गई छूट से कुश्ती समुदाय में हंगामा मच गया है।
महाराष्ट्र के एक पहलवान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि जितेंदर ने पिछले दो साल में एक भी ट्रायल नहीं जीता है. उसे सीधे फाइनल में कैसे डाला जा सकता है.
इसी तरह साक्षी को 62 किग्रा वर्ग में उभरती पहलवान सोनम मलिक के खिलाफ संघर्ष करना पड़ा। और किन्हा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भारतीय टीम के लगातार सदस्य नहीं रहे हैं।
इन छूटों से जुड़ा विवाद एशियाई खेलों जैसे प्रमुख कुश्ती आयोजनों के लिए चयन प्रक्रिया में धांधली और पारदर्शिता के बारे में चल रही बहस को उजागर करता है। अब कुश्ती बिरादरी आगे के घटनाक्रम और छूट वापस लेने की मांग के नतीजे का इंतजार कर रही है।