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जंगल में जबरिया बसाये गए जिस इलाके को वन विभाग 2 साल से खाली नहीं करा सका, उसे अचानक छोड़ा ग्रामीणों ने, जानिए क्या है वजह..?
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0 शमी इमाम

गरियाबंद। जिले के उदंती अभ्यारण्य में हजारों पेड़ काटकर बसे ग्रामीणों को वन विभाग द्वारा बेदखल करने का दो सालों का प्रयास बेकार साबित हुआ, मगर अंदर वालों की एक चेतावनी के बाद ग्रामीणों ने 24 घंटे के अंदर पूरा इलाका खाली कर दिया। इस इलाके को खाली कराने के कई मायने निकाले जा रहे हैं।

बड़े भूभाग पर किया था कब्ज़ा

उदंती सीतानदी अभ्यारण्य के बफर जोन में स्थित इंदागांव रेंज के कक्ष क्रमांक 1216,1218, व 1222 में बड़ी संख्या में पेड़ों को काट कर कोयबा के अलवा बाहर से आए ग्रामीणों ने “सोरनामाल” नाम की बस्ती बसा ली थी। अभ्यारण्य के अधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों ने यहां 188 हेक्टेयर भूभाग पर कब्ज़ा कर रखा था। यहां 69 परिवार के लगभग 150 लोग कच्ची झोपड़ी बना कर रह रहे थे। जिसे शनिवार की शाम से ग्रामीणों ने खाली करना शुरू कर दिया। अगले दिन शाम 5 बजे तक ग्रामीण गांव छोड़ चुके थे। मीडिया कर्मियों की टीम इस इलाके में पहुंची, तब कुछ घरों के आगे निर्माण सामग्री एकत्र थे, तो ज्यादातर लोग घरों के आगे सुखाए गए वनोपज को समेटते लोग नजर आए। कोयबा से लेकर सोरनामाल तक 4 किमी की दूरी में 13 से ज्यादा माल वाहक वाहन नजर आए, जो घरेलू सामान लाद कर निकल रहे थे।

अंदर वालों ने कहा है गांव छोड़ने को

बस्ती छोड़ कर जा रहे लोगों के चेहरे पर मायूशी थी, खामोशी से लोग अपना काम कर रहे थे, बस्ती में अपना सामान समेट रहे अधिकांश लोगों ने मीडिया टीम के सवालों को अनसुना कर दिया। एक ने कहा कि जान तो रहे हो वन विभाग का दबाव है, वही डरे हुए एक अधेड़ ने बड़ी मुश्किल से बताया कि “अंदर वालो” ने कहा है गांव खाली करने, इससे ज्यादा अब कुछ मत पूछिए, 3 बजे तक शाम ढलने से पहले हर हाल में गांव छोड़ना है। शनिवार शाम से सामान ढुलाई शुरू हो गया है। इशारा जंगलों में मौजूद माओवादियों की ओर था, पर कोई भी खुलकर यह बताने तैयार नही हुआ।

अंदर वालों ने कहा है बस्ती खाली करने को

अगुवा लोगों की जमकर हुई है पिटाई

सूत्रों की माने तो इंदागांव से ग्राम शोभा तक सुनील नाम का कमांडर अपने कई साथियों के साथ सक्रिय है, बताया जा रहा है कि शनिवार दोपहर को इनकी टुकड़ी ने जंगल काट कर बसे लोगों को जंगल छोड़ने का फरमान जारी किया था। यह जानकारी भी सामने आयी है कि 30 से 40 की संख्या में पहुंचे नक्सलियों ने पूरी बस्ती को घेर लिया और उसके बाद यहां के पुजारी, पटेल और दलालनुमा लीडरों को पकड़ा। इस दौरान नक्सलियों ने यहां पेड़ काटकर गांव बसाने को लेकर इन सभी की लाठी-डंडे से जमकर पिटाई की। इसे देख ग्रामीण दहशत गए। नक्सलियों ने 24 के घंटे के अंदर पूरी बस्ती खाली करने का फरमान जारी कर दिया।

सामान लादकर गांव छोड़ते ग्रामीण

वन अमला हैरान

वनभूमि पर कब्ज़ा कर यहां बसने वाले ग्रामीणों ने रातोंरात पूरी बस्ती को खाली कर दिया, यह खबर जब वन अभ्यारण्य के अमले तक पहुंची, सभी हैरान रह गए, क्योंकि अब तक जारी कई नोटिस का विरोध करते हुए जो ग्रामीण यहां से हटने को तैयार नहीं थे, वे अचानक बिना कुछ कहे कैसे गांव छोड़ने को राजी हो गए। उदंती अभ्यारण्य के उपनिदेशक वरुण जैन ने कहा कि हमें पर्याप्त बल नहीं मिल रहे थे, अन्य कई कारणों से बेदखली की कार्यवाही लगातार प्रभावित हुई, मैं क्या बताऊं, ग्रामीण बता चुके होंगे कि वे किसके डर से खाली कर रहे होंगे, हालांकि ये हमारी हार है, पर हमारा लक्ष्य जंगल बचाना है, अतिक्रमण कारियो के हटने से जंगल सुरक्षित होगा, इसलिए हम संतुष्ट हैं।

उदंती अभ्यारण्य उपनिदेशक वरुण जैन

उधर इंदागाव के रेंजर चंद्रबली ध्रुव ने कहा कि सोरनामाल बस्ती से बेदखली की कार्यवाही करने 2020 से प्रयास जारी है, 29 मार्च को भी बेदखली के लिए जाने वाले थे, ग्रामीणों के भारी विरोध के चलते नही जा सके। आगामी 6 अप्रैल को दल बल के साथ फिर जाने की योजना थी, इससे पहले ही अचानक गांव खाली हो गया, इसकी वजह पता नहीं है।

वैसे सर्व आदिवासी समाज बेदखली के खिलाफ था। 29 मार्च को वन राजस्व व् पुलिस प्रशासन सोरनामाल में बेदखली की कार्यवाही करने कोयबा में एकत्र हो रहे थे, उससे पहले ही इसे रोकने के लिए सर्व आदिवासी समाज प्रमुख लोकेश्वरी नेताम के नेतृत्व में गांव पहुंच कर कार्यकर्ताओं ने कार्यवाही के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, इतना ही नहीं सोरनामाल के चौराहे पर बाबा भीम राव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना भी कर दी थी।

बेदखली से बचने की थी भीम राव अंबेडकर की मूर्ति स्थापना

नक्सलियों ने क्यों खाली कराया गांव ?

वन विभाग की जगह नक्सलियों ने इस पूरी बस्ती को आनन-फानन में खाली करा दिया, इस खबर के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसमें दो वजह प्रमुख हैं, पहला यह कि नक्सली इस इलाके से धमतरी के अलावा ओडिसा के नवरंगपुर व नुआपड़ा जिले की ओर से आसानी से आवाजाही कर लेते हैं, पिछले 3 साल से इस सवेदनशील इलाके में अतिक्रमण कारियो की संख्या में इजाफा हुआ, वन क्षेत्र लगातार सिमट रहे थे,जो नक्सलियों के लिए बाधक बन रही थी।

दूसरी वजह यह है कि मैनपुर डिवीजन में पुलिस लगातार कैंप खोल रही है। पुलिस दो माह पहले ही छिंदौला व ओढ़ में दो नए कैंप खोलकर नक्सली पर नकेल कसने में सफल रही है। अब तक 9 कैंप मैनपुर डिवीजन में खोले जा चुके हैं, जहां पर्याप्त संख्या में केंद्रीय बल की तैनाती है। 10वें कैंप की तैयारी पुलिस कर रही है, ऐसे में नक्सलियों के पांव पसारने की जगह भी सीमित हो रही है।

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