Get all latest Chhattisgarh Hindi News in one Place. अगर आप छत्तीसगढ़ के सभी न्यूज़ को एक ही जगह पर पढ़ना चाहते है तो www.timesofchhattisgarh.com की वेबसाइट खोलिए.

समाचार लोड हो रहा है, कृपया प्रतीक्षा करें...
Disclaimer : timesofchhattisgarh.com का इस लेख के प्रकाशक के साथ ना कोई संबंध है और ना ही कोई समर्थन.
हमारे वेबसाइट पोर्टल की सामग्री केवल सूचना के उद्देश्यों के लिए है और किसी भी जानकारी की सटीकता, पर्याप्तता या पूर्णता की गारंटी नहीं देता है। किसी भी त्रुटि या चूक के लिए या किसी भी टिप्पणी, प्रतिक्रिया और विज्ञापनों के लिए जिम्मेदार नहीं हैं।
जहाँ आज भी बसते हैं साँप वह मंदिर 11वीं सदी का

नेशन अलर्ट/9770655789

धमतरी.

नागपंचमी के शुभ अवसर पर जिस मंदिर में पूजापाठ करने भक्त उमड़ते हैं वह 11वीं सदी का बनाया जाता है. श्रद्धालुओं की बातों पर भरोसा करें तो यहाँ बसने वाले साँपों ने आज तक किसी को भी नहीं डसा है. भक्त भी यदि सर्प दिख जाए तो शीश झुकाकर प्रणाम करते हुए आगे बढ़ जाते हैं.

नाग भक्तों के अनुसार नाग देव की प्रतिमा भू-गर्भ से निकली हुई है. नागपंचमी पर्व के अवसर पर शुक्रवार को यहाँ एक तरह से छोटा मेला लगा हुआ है.

मंदिर में विराजित नाग देव का विशेष अभिषेक किया गया. श्रृंगार भी हुआ है. विधि विधान से महाआरती की गई.
इस मंदिर का नाम हटकेशर वार्ड स्थित नागदेव मंदिर है.

दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु . . .

इस मंदिर और यहाँ विराजित नागदेव की महिमा दूर दूर तक है. तभी तो यहाँ पंचमी पर विशेष पूजा अर्चना के लिए श्रद्धालु पहुँचे हैं. नांदगाँव से आए प्रवीणभाई के मुताबिक यहाँ के दर्शन की बडी़ महिमा है.

मंदिर में उपस्थित अन्य दर्शनार्थियों ने बताया कि उनके पूर्वजों के मुताबिक कभी इस स्थान पर घनघोर जंगल हुआ करता था. प्रतिमा के स्वयं प्रकट होने की बात करने वालों के अनुसार साँपों के अधिक संख्या में होने के चलते पूर्वज भी पहले पहल डरते थे.

फिर बाद में कुछ लोगों ने हिम्मत कर कदम आगे बढा़या तो उन्हें साँपों से किसी भी तरह का नुकसान नहीं हुआ. धीरे धीरे नागदेव की पूजा शुरु हुई. कालांतर में इस स्थान पर छोटे से मंदिर का निर्माण हुआ.

फिलहाल मंदिर की पूजा की जिम्मेदारी पंडित नारायण कौशिक के कँधों पर है. कौशिक पुरोहित का काम भी करते हैं. वह बताते हैं कि नागदेव युवा एवं महिला संगठन द्वारा नागपंचमी पर्व धूमधाम से आयोजित होते रहा है. शुक्रवार को इस अवसर पर नागदेव की विशेष पूजा, श्रृंगार और महाआरती की गई.

http://www.nationalert.in/?p=12971