शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में साल के अंत में आम चुनावन होना है. ऐसे में कांग्रेस हो या फिर बीजेपी आदिवासी वर्ग को साधने में लगी हुई है. लेकिन छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज दोनों ही प्रमुख दलों का जातिगत समीकरण बिगाड़ सकता है. दरअसल छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज 2023 के विधानसभा चुनाव में समाज की ओर से उमीदवार उतारने का निर्णय लिया है. जहाँ पूर्व केंद्रीय मंत्री व छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के अध्यक्ष अरविंद नेताम ने प्रेसवार्ता कर विपक्षी दल भाजपा सहित कांग्रेस सरकार पर आदिवासियों के अधिकारों का हनन करने का गंभीर आरोप लगाया है, अरविंद नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से जो अधिकार आदिवासियों को मिलने थे. वें सभी अधिकार न तो भाजपा सरकार में और न ही कांग्रेस सरकार में आदिवासियों को मिला है, नेताम ने कहा कि बस्तर और सरगुजा संभाग में पेशा कानून का पालन नही हो रहा है.
ऐसे में आदिवासियों के लिए बने कानून के संवैधानिक अधिकार का लगातर हनन हो रहा है. वही भानुप्रतापपुर से विधायक रहे मनोज मंडावी के निधन के बाद उपचुनाव का उदाहरण देते हुए अरविंद नेताम ने कहा कि आदिवासी समाज में सरकार के प्रति आक्रोश का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भानुप्रतापपुर उपचुनाव में आदिवासी वर्ग के निर्दलीय विधायक को 16 प्रतिशत वोट मिला था.
जहां भानुप्रतापपुर उपचुनाव से प्रभावित होकर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने आने वाले विधानसभा चुनाव में समाज से उमीदवार उतारने का फैसला लिया है. गौरतलब है प्रदेश की 30 आरक्षित सीटों पर आदिवासी समाज से उमीदवार कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों के विरुद्ध चुनावी मैदान में आमने-सामने रहेंगे।