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जानिए दुनिया के कितने देशों में बैन है “हिजाब”….क्या भारत में भी है रोक की तैयारी

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आपको याद होगा…इसी साल 15 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट ने उडुपी के प्री-यूनिवर्सिटी गर्ल्स कॉलेज की मुस्लिम छात्राओं की तरफ से क्लास में हिजाब पहनने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना इस्लाम की जरूरी प्रैक्टिस का हिस्सा नहीं है।

कोर्ट के इसी फैसले को चुनौती देते हुए कुछ लड़कियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर सुनवाई हो रही है। 20 सितंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। ईरान जैसे कुछ इस्लामिक देश हैं, जहां हिजाब का विरोध हो रहा है और महिलाएं इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रही हैं। इसके बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई।

जहां भारत में हिजाब की अनिवार्यता के लिए छात्राएं सरकार से लड़ रही हैं वहीं मुस्लिम देश ईरान की महिलाएं हिजाब से मुक्ति पाने के लिए सड़क पर उतर आई हैं। महिलाओं का विरोध इस कदर है कि हिजाब का विरोध करने पर पुलिस फायरिंग में पांच की मौत और 80 से ज्यादा घायल हो गए हैं।

दरअसल सिर न ढंकने के आरोप में पुलिस ने 22 साल की महसा अमीनी को कस्टडी में ले लिया था। हिरासत में ही वे कोमा में चली गईं और 16 सितंबर को उनकी मौत हो गई। इसके बाद महिलाओं का गुस्सा भड़क गया।

जानिए हिजाब का अर्थ क्या है,

उस पर कुरान क्या कहती है

कुरान में कुल 7 जगह पर हिजाब शब्द आया है। उसमें जिक्र है कि मुस्लिम महिलाओं को गैर-महरम मर्दों के सामने हिजाब का इस्तेमाल करना होगा। गैर-महरम का अर्थ सगे भाई, बाप, और परिवार के कुछ मर्दों के आलावा जिनसे एक मुस्लिम महिला शादी कर सकती है को इस्लाम धर्म में गैर महरम माना जाता से है।

हिजाब का मतलब है दीवार या रुकावट

‘हिजाब’ अरबी भाषा का शब्द है। शब्दकोश में इसका अर्थ रुकावट और दीवार बताया गया है। मुस्लिम महिलाओं के जरिए सार्वजनिक जगहों पर अपना चेहरा ढकने के लिए पहने जाने वाले परिधान को हिजाब कहते हैं। माना जाता है कि सातवीं सदी में इस्लाम धर्म ने हर मुस्लिम महिला के लिए हिजाब करने को अनिवार्य बना दिया था।

मुस्लिम देशों में सख्त नियम

हिजाब को लेकर पूरी दुनिया में बहुत सी धारणाएं हैं। जहां एक तरफ सऊदी अरब, ईरान, इराक में हिजाब न पहनने पर औरतों को जान से मारने की धमकी दी जाती है वहीं यूरोप के बहुत से देशों में इसे पहनने पर बैन लगा हुआ है। दुनिया के करीब कई देशों में हिजाब पर पूरी तरह या कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध लगाया गया है।

हिजाब, नकाब और बुर्का

पर्देदारी के भी अलग अलग रूप हैं। कहीं हिजाब, कहीं नकाब तो कहीं बुर्के का उपयोग किया जाता है। कुरान में हिजाब का ताल्लुक कपड़े के लिए नहीं, बल्कि एक पर्दे के रूप में किया गया है जो औरतों और आदमियों के बीच हो।कुरान में मुसलमान आदमियों और औरतों दोनों को ही शालीन कपड़े पहनने की हिदायत दी गई है। यहां कपड़ों के लिए खिमर (सिर ढकने के लिए) और जिल्बाब (लबादा) शब्दों का जिक्र है। हिजाब के अंतर्गत औरतों और आदमियों दोनों को ही ढीले और आरामदेह कपड़े पहनने को कहा गया है, साथ ही अपना सिर ढकने की बात कही गई है।

इन देशों में हिजाब पर बैन

दुनिया के करीब 13 देशों में हिजाब, बुर्के या नकाब पर पूरी तरह या आंशिक तौर पर बैन लगाया गया है। कई जगह तो हिजाब या बुर्का पहनने पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।

फ्रांस

11 अप्रैल 2011 को फ्रांस सार्वजनिक स्थानों पर पूरे चेहरे को ढकने वाले इस्लामी नकाबों पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था। इस प्रतिबंध के तहत कोई भी महिला घर के बाहर पूरा चेहरा ढककर नहीं जा सकती थी। हिजाब पहनने पर 150 यूरो का जुमार्ना तय किया गया। इतना ही नहीं अगर कोई किसी महिला को चेहरा ढकने पर मजबूर करता है तो उस पर 30 हजार यूरो के जुमार्ने का प्रावधान है।

बेल्जियम

बेल्जियम में भी पूरा चेहरा ढकने पर जुलाई 2011 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था। नए कानून में सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे किसी भी पहनावे पर रोक थी जो पहनने वाले की पहचान जाहिर न होने दे। दिसंबर 2012 में बेल्जियम की संवैधानिक अदालत ने इस प्रतिबंध को रद्द करने की मांग वाली याचिका को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि इससे मानवाधिकारों का उल्लंघन नहीं हो रहा है।

नीदरलैंड्स

नवंबर 2016 में नीदरलैंड्स के सांसदों ने स्कूल-अस्पतालों जैसे सार्वजनिक स्थलों और सार्वजनिक परिवहन में सफर के दौरान पूरा चेहरा ढकने वाले इस्लामिक नकाबों पर रोक का समर्थन किया।

इस बिल को मंजूरी देकर जून 2018 में नीदरलैंड्स ने चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगाया।

इटली

इटली के कुछ शहरों में चेहरा ढकने वाले नकाबों पर प्रतिबंध है। इसमें नोवारा शहर भी शामिल है। इटली के लोंबार्डी क्षेत्र में दिसंबर 2015 में बुर्का पर प्रतिबंध को लेकर सहमति बनी और ये जनवरी 2016 से लागू हुआ था।

जर्मनी

6 दिसंबर 2016 को जर्मनी की चांसलर एंगेला मर्केल ने कहा कि “देश में जहां कहीं भी कानूनी रूप से संभव हो, पूरा चेहरा ढकने वाले नकाबों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए.”

हालांकि, जर्मनी में अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं है, लेकिन ड्राइविंग के दौरान यहां पूरा चेहरा ढकना गैर-कानूनी है।

आस्ट्रिया

अक्टूबर 2017 में आस्ट्रिया में स्कूलों और अदालतों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर चेहरा ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

नॉर्वे

नॉर्वे में जून 2018 में पारित एक कानून के तहत शिक्षण संस्थानों में चेहरा ढकने वाले कपड़े पहनने पर रोक है।

ब्रिटेन

ब्रिटेन में इस्लामिक पोशाक पर कोई रोक नहीं है लेकिन वहां स्कूलों को अपना ड्रेस कोड खुद तय करने की इजाजत है।

अफ्रीका

साल 2015 में बुकार्धारी महिलाओं ने कई बड़े आत्मघाती धमाकों को अंजाम दिया। इसके बाद चाड, कैमरून के उत्तरी क्षेत्र, नीजेर के कुछ क्षेत्रों और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में पूरा चेहरा ढकने पर रोक लगा दी गई थी।

डेनमार्क

डेनमार्क की संसद ने 2018 में पूरा चेहरा ढकने वालों के लिए जुमार्ने का प्रावधान करने के बिल को मंजूरी दी थी। इस कानून के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति दूसरी बार इस पाबंदी का उल्लंघन करता पाया जाएगा तो उस पर पहली बार के मुकाबले 10 गुना जुर्माना लगाया जाएगा या छह महीने तक जेल की सजा होगी।जबकि किसी को बुर्क़ा पहनने के लिए मजबूर करने वाले को जुमार्ना या दो साल तक जेल हो सकती है।

रूस

रूस के स्वातरोपोल क्षेत्र में हिजाब पहनने पर रोक है. रूस में ये इस तरह का पहला प्रतिबंध है।जुलाई 2013 में रूस की सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा था।

बुल्गारिया

अक्टूबर 2016 में बुल्गारिया की संसद ने एक विधेयक को पारित किया जिसके मुताबिक, जो महिलाएं सार्वजनिक जगहों पर चेहरा ढकती हैं उनपर जुमार्ना लगाया जाए या फिर उन्हें मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जाए।

क्या भारत में है तैयारी

दुनियाभर में हिजाब को लेकर अलग अलग मत हैं। लेकिन जिस तरह से मुस्लिम देशों में भी हिजाब के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं या उस पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है उससे मुस्लिम महिलाओं की मानसिकता समझी जा सकती है। वे इसे अनिवार्य करने के खिलाफ हैं। भारत में कुछ छात्राओं ने हिजाब को कालेज में अनिवार्य करने की लड़ाई छेड़ी है। भारत की सरकार इस याचिका के खिलाफ है।और कह रही है कि जब मुस्लिम देशों में ही हिजाब महिलाओं को स्वीकार नहीं तो भारत में क्यों इसे जरूरी समझा जाए। आखिर ईरान में हिजाब के खिलाफ महिलाएं यूं ही तो अपना खून नहीं बहा रही हैं।

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