हरमनप्रीत सिंह, इस समय दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ड्रैग फ्लिकरों में से एक हैं। हॉकी में अपने असाधारण कौशल, प्रतिबद्धता, समर्पण और योगदान के कारण हरमनप्रीत सिंह आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। हरमनप्रीत सिंह टोक्यो ओलंपिक 2020 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।
प्रारंभिक जीवन
6 जनवरी 1996 को भारतीय राज्य पंजाब में जन्मे हरमनप्रीत सिंह का बचपन से ही हॉकी से गहरा लगाव था। पिता सरबजीत सिंह पेशे से किसान और उनकी मां राजविंदर कौर गृहिणी हैं। बचपन से ही वे अपने दो बड़े भाइयों के साथ खेती में अपने पिता की मदद करते थे। एक मीडिया इंटरव्यू में उन्होने कहा था की बचपन में खेतों में काम करने से मुझे ताकत और सहनशक्ति हासिल करने में बहुत मदद मिली।
अपने पिता सरबजीत सिंह के साथ
हरमनप्रीत सिंह ने महज 10 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू किया था। अपनी मां के डर से वो चोरी चुपके हॉकी खेलने जाया करते थे। मैदान में उनकी कड़ी मेहनत और क्षमता ने कोचों और दूसरे सीनियर खिलाडियों का ध्यान आकर्षित किया। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनका चयन पंजाब की सुरजीत हॉकी अकादमी में हो गया।
अकादमी के अनुभवी प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में उनके कौशल और प्रतिभा में जबरदस्त निखार आया। उन्होंने अकादमी और राज्य की टीम की ओर से विभिन्न राष्ट्रीय और अन्य घरेलू प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा से सबको प्रभावित किया।
खेल जीवन
अंतरराष्ट्रीय
घरेलू प्रतियोगितओं में प्रदर्शन और सिलेक्शन कैम्पों में की गई हरमनप्रीत सिंह की कड़ी मेहनत आख़िरकार रंग लाई जब उन्हें सुल्तान ऑफ जोहोर कप मलेशिया 2014 के लिए भारतीय जूनियर टीम में शामिल किया गया। कप के फाइनल में, भारत ने रोमांचक मुकाबले में हरमन के दो गोलों की मदद से ग्रेट ब्रिटेन को 2-1 से हराया। हरमनप्रीत ने कप में सबसे ज्यादा कुल 9 गोल किए और उन्हें अपने अच्छे प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द टूर्नामेंट के पुरस्कार से नवाजा गया। हरमनप्रीत सिंह ने सुल्तान ऑफ जोहोर कप, मलेशिया 2015 में 4 गोल किए । हालांकि, फाइनल मैच भारतीय टीम ग्रेट ब्रिटेन से हार गई थी। लेकिन सभी ने उनके प्रदर्शन की जमकर तारीफ की ।
हरमनप्रीत सिंह जूनियर एशिया कप, कुंतान, मलेशिया 2015 जीतने वाली भारतीय टीम के भी सदस्य थे। उन्होंने कप में सबसे ज्यादा 14 गोल किए। अब तक हरमनप्रीत भारतीय जूनियर टीम के डिफेंस का एक अभिन्न हिस्सा बन गए थे, उनकी मजबूत टैकल, बेहतरीन स्टिक वर्क दुनिया के सर्वश्रेष्ठ जूनियर फॉरवर्ड के खिलाफ एक जबरदस्त ताकत साबित हुई।
जूनियर स्तर पर हरमनप्रीत सिंह के अच्छे प्रदर्शन के कारण चयनकर्ताओं ने उन्हें मई 2015 में जापान के खिलाफ 3 मैचों की द्विपक्षीय श्रृंखला के लिए पहली बार भारतीय सीनियर टीम में बुलाया।
हरमनप्रीत सिंह को सुल्तान अजलान शाह कप, इपोह, मलेशिया 2016 के लिए भारतीय टीम में शामिल किया गया है। इन्होने इस कप में सिर्फ 2 गोल किए और फाइनल मैच में भारतीय टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 0-4 की निराशाजनक हार मिली।
हीरो हॉकी चैंपियंस ट्रॉफी, लंदन 2016 में भारतीय टीम ने सिल्वर मेडल जीता। हरमनप्रीत सिंह को उनके शानदार प्रदर्शन के लिए टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ युवा खिलाड़ी का पुरस्कार मिला।
2016 के रियो ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारतीय टीम 6 में से सिर्फ 2 मैच ही जीत पाई थी और 3 मैच हारकर बाहर हो गई थी। बतौर खिलाड़ी हरमनप्रीत सिंह का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। वह किसी भी मैच में गोल नहीं कर सके। यहां तक कि उस समय के कोच रोलेंट ओल्टमेंस ने उनके प्रदर्शन पर सवाल उठाया और कहा कि हरमन ने अपनी उत्कृष्ट प्रतिभा और कौशल के साथ न्याय नहीं किया। हरमन को इस ख़राब प्रदर्शन की कीमत, 2016 के पुरुषों की एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी और 4-देशों के आमंत्रण टूर्नामेंट के लिए भारतीय टीम से बाहर रह कर उठानी ।
हरमनप्रीत सिंह को 2016 पुरुष हॉकी जूनियर विश्व कप, लखनऊ के लिए भारतीय टीम में चुना गया। इस मौके का फायदा उठाते हुए हरमनप्रीत सिंह ने भारत के लिए शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 गोल किए। भारत ने फाइनल मैच में बेल्जियम को 2-1 से हराकर जूनियर वर्ल्ड कप जीता।
2016 के पुरुष हॉकी जूनियर विश्व कप में अच्छे प्रदर्शन के कारण हरमनप्रीत सिंह की सुल्तान अजलान शाह कप, इपोह, मलेशिया 2017 के लिए राष्ट्रीय टीम में वापसी हुई। हरमनप्रीत ने 3 गोल किए और भारतीय टीम तीसरे स्थान पर रही।
हरमनप्रीत सिंह 2016-17 एफ आई एच हॉकी विश्व लीग सेमीफाइनल के लिए टीम में नामित किया गया था।
भारत ने ढाका में 2017 पुरुष हॉकी एशिया कप के फाइनल में मलेशिया को 2-1 से हराकर अपना तीसरा खिताब जीता। हरमनप्रीत सिंह मलेशियाई खिलाड़ी फैजल सारी के साथ कप में 7 गोल के साथ संयुक्त शीर्ष स्कोरर थे।
हरमनप्रीत सिंह कॉमनवेल्थ गेम्स, गोल्ड कोस्ट, ऑस्ट्रेलिया, 2018 और ओडिशा हॉकी पुरुष विश्व कप भुवनेश्वर 2018 में भी भारत के लिए खेले।
हरमनप्रीत सिंह जकार्ता में 18वें एशियाई खेलों 2018 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के मजबूत स्तंभ थे।
हरमनप्रीत सिंह 41 साल के ओलंपिक हॉकी पदक सूखे के बाद टोक्यो 2020 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का भी हिस्सा थे।
हरमनप्रीत सिंह ने कॉमनवेल्थ गेम्स २०२२ बर्मिंघम और चैंपियंस ट्रॉफी 2018 ब्रेडा में भी रजत पदक जीते।
हरमनप्रीत सिंह ने ग्रेट ब्रिटेन के खिलाफ मेन्स एफ आई एच प्रो लीग 2021-22 मैच में अपना 100वां गोल किया। इसमे हरमनप्रीत सिंह ने हैट्रिक भी जमाई ।
भारतीय हॉकी टीम ने जून 2023 को लंदन में FIH PRO लीग मैचों में बेल्जियम को 5-1 और ग्रेट ब्रिटेन को शूट आउट में हराया। हरमनप्रीत सिंह ने दोनों मैचों में मिला कर 3 गोल किए।
प्रतिभाशाली डिफेंडर मनप्रीत सिंह ने राष्ट्रमंडल खेलों सहित कई अन्य प्रतिष्ठित टूर्नामेंटों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। वह लगातार दबाव में प्रदर्शन करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन करते हैं और प्रशंसकों और साथियों की प्रशंसा भी अर्जित करते हैं।
हरमनप्रीत सिंह ने 7 जून 2023 तक अपने अंतरराष्ट्रीय हॉकी करियर में भारत के लिए 179 मैच खेले हैं और 141 गोल किए हैं।
क्लब
हरमनप्रीत ने घरेलू हॉकी प्रतियोगिताओं में भी अपनी गहरी छाप छोड़ी है। वह हॉकी इंडिया लीग में दबंग मुंबई के लिए अहम खिलाड़ी रह चुके हैं। ड्रैग-फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को 2015 हॉकी इंडिया लीग में दबंग मुंबई ने 51000 अमेरिकी डॉलर में खरीदा था। उन्हें पोंटी चड्ढा मोस्ट प्रॉमिसिंग प्लेयर ऑफ़ द लीग 2015 का पुरस्कार भी मिला। वह 2016 के संस्करण में भी दबंग मुंबई में थ हरमनप्रीत को 2017 के संस्करण में अपने अच्छे प्रदर्शन के लिए अपकमिंग प्लेयर ऑफ़ द टूर्नामेंट का पुरस्कार भी मिला।
अवार्ड्स
अर्जुन अवार्ड
भारतीय हॉकी में हरमनप्रीत सिंह के योगदान और खेल में उनकी अपार उपलब्धियों को देखते हुए, भारत सरकार ने उन्हे प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।
व्यक्तिगत जीवन
हरमनप्रीत सिंह की हाइट 1.8 M है।
उनका निकनेम हरमन है।
वह वर्तमान में भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन के साथ कार्यरत हैं।
वह पंजाबी हैं।
उनका वजन 70 KG है।
धर्मपत्नी अमनदीप कौर के साथ
उनका विवाह अमनदीप कौर से हुआ है।
हरमन मांसाहारी हैं और घूमने का बहुत शौक है।
महज 27 साल की उम्र में हरमनप्रीत सिंह ने अंतरराष्ट्रीय हॉकी में खुद को बेहतरीन डिफेंडरों में से एक के रूप में स्थापित किया है। खेल के प्रति उनका समर्पण, असाधारण कौशल, नेतृत्व के गुणों, खेल के प्रति जुनून, कड़ी मेहनत और लगातार सुधार करने का दृढ़ संकल्प उन्हें भारत और दुनिया भर के हॉकी खिलाड़ियों के लिए एक आदर्श बनाता है। निस्संदेह उनका भविष्य उज्जवल है और आने वाले वर्षों में भारतीय हॉकी की सफलता में योगदान देना जारी रखेगा।