नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला सौरभ चंद्राकर कभी जूस बेचा करता था। अब ऑनलाइन सट्टा (Online Betting) खिलाकर इतना अमीर बना कि दुबई में अपनी शादी पर 200 करोड़ रुपए फूंक दिए। बॉलीवुड सेलिब्रिटीज को नचवाया। अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सौरभ के महादेव ऐप (Mahadev App) से जुड़े 39 ठिकानों पर छापेमारी की है। छापों में 417 करोड़ रुपए के शेयर और संपत्तियां बरामद की हैं। महादेव बेटिंग ऐप के प्रमोटर सौरभ चंद्राकार (Saurabh Chandrakar) ने नागपुर से अपने रिश्तेदारों और सेलिब्रिटीज को लाने के लिए प्राइवेट जेट भेजे। यह सारा लेनदेन कैश में हुआ। ईडी (ED) की जांच में यह बात सामने आई है।
छत्तीसगढ़ के भिलाई का रहने वाला सौरभ चंद्राकर दुबई (Dubai Resident) में रहता है और वहीं से ऑनलाइन सट्टे का गिरोह चलाता है। जांच में यह बात सामने आई है कि उसने सट्टेबाजी से हुई कमाई का एक बड़ा हिस्सा एफपीआई रूट (FPI Route) से भारतीय शेयर मार्केट में निवेश कर रखा है। चंद्राकर और उसका पार्टनर रवि उप्पल महादेव ऐप के प्रमोटर हैं। दोनों दुबई में बैठकर भारत में सट्टेबाजी गिरोह चलाते हैं। चंद्राकर की शादी इसी साल यूएई के छठे सबसे बड़े शहर आरएके में हुई थी। चंद्राकर ने अपनी शादी के लिए वेडिंग प्लानर को 120 करोड़ रुपये दिए थे। सारा पेमेंट हवाला के जरिए कैश में किया गया।
ईडी के मुताबिक डिजिटल सबूतों से पता चला है कि हवाला के जरिए 112 करोड़ रुपये योगेश बापट की इवेंट मैनेजमेंट कंपनी आर-1 इवेंट्स प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए। इसी तरह होटल बुकिंग के लिए 42 करोड़ रुपये की पेमेंट यूएई की करेंसी दिरहम में की थी। ईडी ने छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल के दो ओएसडी और एक राजनीतिक सलाहकार के ठिकानों पर भी छापा मारा है। इन लोगों पर आरोपी को बचाने के लिए भारी रिश्वत लेने का आरोप है। एजेंसी ने इस मामले में 15 लोगों को गिरफ्तार किया है।
ईडी का कहना है कि महादेव ऑनलाइन बुक बेटिंग ऐप एक अंब्रेला सिंडिकेट है। यह अवैध बेटिंग वेबसाइट्स को नए यूजर बनाने, यूजरआईडी बनाने और पैसों की हेरा-फेरी में मदद करता है। दुबई में बैठे मास्टरमाइंड्स के लिए आईएसआई रैंक का अधिकारी नेटवर्किंग का काम करता है। एजेंसी का कहना है कि इवेंट मैनेजर्स, ट्रैवल एजेंट्स और हवाला कारोबारियों पर छापेमारी में इस नेटवर्क का पता चला है। भोपाल की कंपनी रैपिड ट्रैवल्स ने चंद्राकर के रिश्तेदारों और सिलेब्रिटीज को दुबई भेजने के लिए टिकट की व्यवस्था की थी, जबकि अवैध कैश लेन-देन का काम कोलकाता के विकास छापरिया के जरिए हुआ था। इसमें महादेव ऐप प्रमोटर्स के साथियों ने भी मदद की थी।