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ज्योतिष ज्ञान: सद्मार्ग और सद्कर्म पर चलने से पहले, गरुड़ पुराण के अनुसार इन बातों को जरूर करें अमल

NPG DESK 

Jyotish Gyan:; हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण का विशेष महत्व है। इस महान ग्रंथ की रचना महर्षि वेद व्यास ने की थी। इसमें 279 अध्याय तथा 18,000 श्र्लोक हैं। इस ग्रंथ में मृत्यु बाद की घटनाओं, प्रेत लोक, यम लोक, नरक तथा 84 लाख योनियों के नरक जीवन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। गरुड़ पुराण के अधिष्ठाता भगवान विष्णु हैं। इस पुराण में श्रीहरि नारायण और उनके वाहन गरुड़ पक्षी के बीच के संवाद का वर्णन है। इस ग्रंथ में कहा गया है कि अगर कि हमें अपने जीवन में कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए। खासकर भोजन से संबंधित मामलों में। क्योंकि हम जैसा अन्न खाते हैं वैसा ही हमारा मन होता है। इसलिए गरुड़ पुराण में समाज में कुछ लोगों के यहां भोजन करने की मनाही है।

गरूड़ पुराण में इन लोगों के यहां खाना न खाएँ: कहा जाता है कि किन्नरों को हर तरह के लोग दान देते है। उन्हें दान करने का विशेष विधान है इसलिए उनके यहां खाना खाना वर्जित है। हमारी संस्कृति और धर्म-ग्रंथों में किन्नरों को दान करना शुभ बताया गया है, लेकिन जिस भोजन को ग्रहण किया जा रहा है वह अच्छे व्यक्ति का है या बुरे, इसलिए किन्नरों के घर भोजन करना निषेध है।

गरूड़ पुराण में ऐसा खाना ना खाएं: निर्दयी मनुष्य के घर का खाना नहीं चाहिए। क्रोधी के हाथ का खाना भी खाने से बचना चाहिए। इनके साथ या घर का भोजन करने से विचार दूषित होते है। क्योंकि इन लोगों को अच्छे बुरे का ज्ञान नहीं रहता है।

गरूड़ पुराण में ये खाना जहर समान: गरुड़ पुराण में लिखा है कि चरित्रहीन औरत के हाथ का बना खाना खाने से पाप के भागीदार बनते है। इसलिए उनके हाथ का खाना नहीं चाहिए।वैसे लोग जो केवल चुगली करना जानते है। उनके साथ उठना-बैठना और भोजन करना निषेध है। वैसे लोगों के साथ कभी भी फंसने का भय रहता है।

गरूड़ पुराण में यह खाना बीमारी की दावत: रोगी का खाना नहीं खाना चाहिए। इससे बीमारी की संभावना बढ़ जाती है। क्योंकि रोगी के हाथ का खाना बनने से संक्रमित हो जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति गंभीर रोग से पीड़ित होता है या फिर कोई ऐसा व्यक्ति जिसे कोई असाध्य रोग अपनी चपेट में लिए हुए है, उसके घर भोजन करने से आप भी उस रोग की चपेट में आ जाते हैं।

सूदखोर के घर का खाना दूषित

ब्याज खाने वालों के घर का भोजन निषेध माना गया है। उनका पैसा, गरीब-मजबूर के खून से कमाए पैसे से बना है। इससे गलत आचार-विचार आता है।

अपराधी के घर का खाना जहर समान

अगर समाज में किसी की व्यक्ति की छवि खराब है । वो चोर या अपराधी है तो उसके घर कभी भी किसी मौके पर खाना नहीं खाना चाहिए। उसके घर का खाने से विचार गंदे होते है।

एक कथा के अनुसार जब महाभारत का युद्ध चल रहा था तब द्रौपदी ने तीर की शय्या पर पड़े भीष्म पितामह से पूछा कि जब चीर हरण हो रहा था तब आपने क्यों नहीं विरोध किया । इसके जवाब में भीष्म पितामह ने कहा था कि वे कौरवों का अन्न खा रहे थे और अधर्म के साथ थे। उस वक्त उन्हें कुछ भी गलत नहीं लग रहा था। सही कहा था। वैसे भी शास्त्रों में कहा गया है इंसान जैसा खाता है वैसा ही उसकी प्रवृति हो जाती है।

गरुड़ पुराण में साफ- साफ कहा गया है कि इन-इन लोगों के घर और हाथ का बना खाना नहीं खाना चाहिए। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि कोई कितना भी घनिष्ठ क्यों ना हो अगर उसमें कोई भी अवगुण हो तो उसके यहां भोजन नहीं करना चाहिए। अगर आप भी न बातों का ध्यान रखें तो जीवन में खुशहाल रहेंगे और अच्छा अनुभव करेंगे।

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