राजनांदगांव | nationalert.in
डीएमएफ से आदिम जाति विकास के छात्रावासों और आश्रमों में डिजिटल क्लासेस के लिए उपकरणों की खरीदी में लाखों के घोटाले के मामले का मुद्दा खनिज संस्थान न्यास शासी परिषद में उठने की खबर है। 29 मार्च को हुई बैठक में इस घोटाले पर विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त और ठेकेदार फर्म के खिलाफ जांच कर एफआईआर किए जाने की जानकारी आ रही है।
बताया जाता है कि, उक्त आपूर्ति का ठेका डोंगरगांव की किसी फर्म ने लिया था। इस फर्म के दूसरे ठेकों में भी गड़बडि़यों की खबर है।
वर्ष 2021 में आदिमजाति विकास विभाग ने अविभाजित राजनांदगांव जिले के 20 आश्रम व छात्रावासों में डिजिटल क्लास रुम तैयार करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया था। इसके तहत प्रति नग सेट की कीमत 2 लाख 20 हजार रुपए तय की गई जिसमें 7 अलग अलग उपकरण शामिल थे। 20 सेटअप के लिए कुल 44 लाख रुपए की स्वीकृति दी गई थी।
लेकिन ठेकेदार फर्म ने आश्रम – छात्रावासों में महज 5 उपकरणों की ही आपूर्ति की। साथ ही उपकरणों की गुणवत्ता भी जांच के दायरे में है। विभाग में ही चर्चा है कि इस मामले में अधिकारी और ठेकेदार ने मिलकर लाखों का खेल कर दिया।
घोटाले की शिकायत विभाग के तत्कालीन सहायक आयुक्त एसके वाहने तक भी पहुंची थी। उन्होंने अधीक्षकों को बुलाकर उनसे पूछताछ की थी जिसमें गड़बड़ी की पुष्टि हुई थी। इसके बाद भी उन्होंने ठेकेदार फर्म के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की।
बताया जाता है कि इस खरीदी के लिए जेम पोर्टल में जारी टेंडर में भी गड़बड़ी की गई। जहां 20 सेटों की 2 लाख 20 हजार रुपए प्रतिनग की खरीदी होनी थी वहां वहां पोर्टल में 4 लाख 40 हजार की कीमत के 10 ही सेट की निविदा डाली गई थी।
44 लाख कबाड़ में…
जिन 20 आश्रम-छात्रावास में इन उपकरणों की सप्लाई की गई है वे वहां धूल खा रहे हैं। इनका इस्तेमाल कभी हुआ ही नहीं और ये कबाड़ हो गए। 44 लाख रुपए की यह खरीदी पर सवाल उठाते हैं क्यूंकि इसकी कोई जरुरत थी ही नहीं।
डीएमएफ में गड़बड़ी पर विधायकों की नज़र
पिछले दिनों प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व विधायक मोहन मरकाम ने डीएमएफ फंड में गड़बडि़यों का मामला उठाकर सदन गर्मा दिया था। अब ऐसे ही मामलों को लेकर राजनांदगांव जिले में भी विधायकों ने आंखे तरेरनी शुरु कर दी है। जल्द ही ऐसे मामलों को लेकर जांच शुरु हो सकती है।