नितिन खोब्रागढ़े@राजनांदगांव। मानव मंदिर चौक का नाम महाकाल चौक किए जाने और वहां त्रिशुल की स्थापना को लेकर महापौर हेमा देशमुख की रीति-नीति ने भ्रष्टाचार की नई गाथा लिखी है। नेता प्रतिपक्ष किशुन यदु ने कहा कि ये दुर्भाग्य है कि संस्कारधानी में प्रभु महाकाल के नाम पर कांग्रेसियों ने भ्रष्टाचार का कलंकित इतिहास लिखने की कोशिश की है। जनता के लिए ये विषय पीड़ादायक तो है ही बल्कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला भी है।
यदु ने कहा कि एल्डरमेन निधि से 20 लाख के त्रिशुल निर्माण का ऑर्डर दिया था। अब इसके लिए 12 लाख रुपए महापौर निधि से खर्च किए जाने की तैयारी है। आश्चर्यजनक है कि, निगम ने अब तक इसके लिए प्रक्रिया ही शुरु नहीं की है। त्रिशुल निर्माण और स्थापना के न ही टेंडर जारी किया है और न ही कोई वर्क ऑर्डर हुआ है। इससे स्पष्ट है कि, टेंडर बुलाए जाने के पहले ही महापौर के इशारे पर चहेते ठेकेदार को काम सौंप दिया जाता है और इसमें लाखों-करोड़ों का भ्रष्टाचार अब तक होता रहा है। महादेव के त्रिशुल जैसी सनातन से जुड़ी धार्मिक भावनाओं की आड़ में भी महापौर की कुनीति और भ्रष्टाचार ने सीमाएं लांघ दी हैं। वे पाप की भागीदार हैं। महादेव के त्रिशुल को लेकर भी नेता प्रतिपक्ष ने गंभीर सवाल उठाएं हैं। उन्होंने कहा कि – बताया गया था कि, त्रिशुल कांस्य धातु से बनाया जाएगा। लेकिन इसके विपरित इसके निर्माण में लोहा, सीमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह मापदंड के अनुरुप नहीं है। यह भी स्पष्ट है कि इससे त्रिशुल का वजन बढ़ाकर और कांस्य का निर्माण न कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जाने की तैयारी है। हमारी मांग है कि निर्माणाधीन त्रिशुल की खरीदी न कर कांस्य धातु के त्रिशुल का नया निर्माण करवाया जाए। इससे पहले इसके लिए निविदा मंगाई जाए और वैधानिक तरीके से निर्माण कार्य स्वीकृत किया जाए। महादेव से जुड़ी धार्मिक भावनाओं की आड़ में भ्रष्टाचार करने वालों को दंड त किया जाना चाहिए।