देश भर में देसी पोटाश गन का इस्तेमाल काफी तेजी से बढ़ा है। खासतौर पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों पर प्रतिबंध लगने के बाद लोगों ने इस देसी जुगाड़ को अपनाया जिसे लेकर नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के डॉक्टर भी हैरान हैं। उनका कहना है, यह आतिशबाजी से कहीं ज्यादा एक जोखिम भरा हथियार है जिससे होने वाली दर्दनाक मौत कल्पना से परे है। अगर किसी स्थिति में बच भी गए तो जीवन भर दिव्यांग रहना पड़ेगा।
डॉक्टरों ने पोटाश गन के घातक परिणामों को हाल ही में दिवाली की रात देखा। 31 अक्तूबर 2024 को दिल्ली एम्स की इमरजेंसी में 10 लोग गंभीर हालत में पहुंचे, जो दिल्ली के साथ साथ नोएडा, गाजियाबाद, सोनीपत, पलवल, मेवात, ग्रेटर नोएडा और हापुड़ से रेफर होकर आए। इन 10 में 6 ने बायलेटरल ब्लाइंडनेस (द्विपक्षीय अंधापन) यानी दोनों आंखें गंवा दीं। अन्य चार को अनलेटरल ब्लाइंडनेस (एकल पक्षीय अंधापन) हुआ, जिसे एक तरफा अंधापन कहते हैं। इनके अलावा दो लोगों की कलाई नष्ट हुई।
सभी 10 मामलों में पूरा चेहरा और बॉडी बर्न का शिकार हुआ है। इलाज करने वाले डॉक्टरों का कहना है, उन्होंने अभी तक ऐसे लहूलुहान और विकृत मामले नहीं देखे। यह लोग इस तरह की हालत में पहुंचे कि डॉक्टरों के पास ज्यादा कुछ करने के लिए बचा नहीं था। शरीर के जिस जिस भाग को पोटाश गन ने चपेट में लिया, वह पूरा अंग हमेशा के लिए खत्म हो गया।
पहली बार उन्होंने किसी मामले में 100 फीसदी आंखों की रोशनी खत्म होने की स्थिति भी देखी। 100 फीसदी अंधापन देने वाली यह घटनाएं सामान्य नहीं हो सकतीं। 2024 में दिवाली से पहले दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने एक जनवरी 2025 तक पटाखों पर प्रतिबंध लगाया था।
यह नियम पटाखों के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और उपयोग पर लागू होता है। प्रतिबंध की वजह से आसपास के शहरों में पटाखों की कीमत में भी उछाल आया, जिसके चलते लोगों ने ऑनलाइन ई-कॉमर्स वेबसाइट पर उपलब्ध पोटाश गन की बिक्री भी बढ़ी।
खेती की रक्षा के लिए बना उपकरण
डॉक्टरों के अनुसार, एक लोहे की रॉड से निर्मित यह पोटाश गन खेती की रक्षा के लिए बनाई गई, ताकि पक्षियों को उड़ाने, ध्वनि बंदूक व जंगली जानवरों को डराया जा सके। यही कारण है कि इसे बाजार में कृषि पोटाश गन नाम से लाया गया। यह आयरन पोटाश पाइप हल्का वजन और संभालने में आसान होता है।
गंधक और पोटाश का मिश्रित पाउडर इसमें डाला जाता है, जिससे तेज आवाज आती है। हालांकि, इसमें इस्तेमाल पाइप की गुणवत्ता को लेकर कोई मानक नहीं है।
पोटाश गन को लेकर सरकार को सख्त कदम उठाने की जरूरत है। लोगों की भी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों को इससे दूर रखें। अगर बच्चे रील्स या त्योहार के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं या आॅनलाइन ऑर्डर करते हैं तो अभिभावकों को रोकना चाहिए। क्योंकि यह अगर फटता है तो आसपास मौजूद दूसरे लोगों को भी अपनी चपेट में ले सकता है।
-डॉ. ब्रजेश लहरी, एम्स दिल्ली
इस तरह का पदार्थ निषेध
जोधपुर में वर्ष-2023 में एक घटना हुई, जिसमें पिता-पुत्र दोनों गंभीर रूप से घायल हुए। मामले में जोधपुर एम्स के डॉक्टरों ने अध्ययन किया और पाया कि सल्फर पाउडर में सल्फ्यूरिक एसिड होता है, जो पोटेशियम क्लोरेट के साथ प्रतिक्रिया कर अत्यधिक प्रतिक्रियाशील विस्फोटक पदार्थ बनाता है। भारतीय विस्फोटक अधिनियम, 1884 के तहत इस तरह का पदार्थ बनाना निषेध है, लेकिन पोटाश गन के रूप में यह देखा जा रहा है। इसके जानलेवा प्रभावों के अलावा कॉर्निया जलन, अंतः नेत्रीय विदेशी वस्तु (आईओएफबी), रेटिना डिटेचमेंट और यहां तक कि स्थायी दृष्टि हानि भी है, जो सीधे तौर पर विकलांगता से जुड़ी है।
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