संदेश गुप्ता@धमतरी। जिले की महानदी की गाथा जितनी निर्मल है। उतनी ही कष्टदायक भी है। महानदी जहाँ लाखो किसानो की आस है कई जिंदगी की प्यास है। धमतरी जिले की शान है।
वही महानदी को कलंकित कर रखा है। रेत माफियाओं ने इस नदी की धार न जाने कितने गाँव से हो कर गुजरी है, पर जितने गाँव उतने रेत के घाट भी है। जहाँ से मनमाने ढंग से रेत निकाली जा रही, कही वैध तो कही अवैध।
असल मुद्दे पर की महानदी धमतरी जिले के लिए वरदान है या श्राप। नदी जहाँ से बहे वह उस छेत्र के लिए किसी भी वरदान से कम नहीं। वहाँ की सुंदरता, वहाँ का जल जीवन, वहाँ का वादियों से यही अंदाजा लगाया जाता है की उस जैसा स्वर्ग कही नहीं। पर उसका एक काला पन्ना लोगों की नजर से हमेशा दूर रहता है जो है ब्राउन गोल्ड मतलब रेत
जो नहीं से निकाली जाती है, और जिस छेत्र से इसका निकलना जारी होता है उस दीन से ही उस छेत्र की दुर्दशा शुरू हो गई समझो…क्योंकि प्रशासन कितना भी अलर्ट रहे न तो वहाँ मशीनों का चलना बंद होगा, न मौत रूपी हाईवा का चलना। जिसकी रफ्तार मे ब्रेक इस जनम मे संभव नहीं है। जिले मे मौत की आंकड़े की बात करना बेमानी है।
बीते दिनों ही एक व्यक्ति का सिर पूरी तरह से कुचल गया था। रात दिन रेत की निकासी करो। जितना लूट सकते है लूटो, मौत का तांडव कब बंद होगा, कब ब्रेक लगेगा इन बे परवाह दौड़ती मौत पर। कही भी कोई रोष दिखता है तो दिखावे मात्र के लिए गाड़ियों की टाइमिंग। ट्रैफ़िक व्यवस्था, रेत माफियाओ को समझाइस सिर्फ कुछ दिन फिर लोग भूल गये चालू करो अपना कार्यक्रम वाली स्थिति है। पर जीवन तो सबको मिला है। आप उसे इस तरह से नहीं छीन सकते शर्म तो करना पड़ेगा।