पंजाब सरकार ने राइस मिलरों को बड़ी राहत दी है। पांच हजार टन से अधिक भंडारण क्षमता वाले मिलरों को अब पांच प्रतिशत अधिग्रहण लागत के बराबर बैंक गारंटी नहीं देनी होगी। इसी के साथ ही 10 प्रतिशत सीएमआर सिक्योरिटी वापस की जाएगी। अब कस्टम मिलिंग (सीएमआर) पर मिलरों को केवल 10 रुपये प्रति टन के हिसाब से भुगतान करना होगा। पहले 175 रुपये प्रति टन थी। इसी के साथ ही शैलर मालिक अब रविवार से धान की खरीद करेंगे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान की अध्यक्षता में शनिवार को पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन की ओर से तरसेम सैनी, बाल कृष्ण बाली, भारत भूषण, इंद्रजीत समेत 12 सदस्यों ने भाग लिया। सीएम मान ने धान की खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए राइस मिलरों के साथ बैठक कर उनकी लंबित मांगों को पूरा किया है। उन्होंने कहा कि 5 हजार टन से अधिक धान भंडारण की क्षमता वाले मिलरों को अब तक जो 5 प्रतिशत अधिग्रहण लागत के बराबर बैंक गारंटी देनी पड़ती थी।
उसकी जगह अब से मिलर्स से बैंक गारंटी लेने के बजाय, मिल की भूमि के रिकॉर्ड के आधार पर विभाग के पक्ष में ”लीन” (अधिग्रहण का अधिकार) किया जाएगा। मिलर्स की 10 प्रतिशत सीएमआर सिक्योरिटी वापस करने पर मिलरों के सहमति बनी है। इसके अलावा मौजूदा मिलों के आवंटन के लिए भौतिक सत्यापन से छूट देने की भी मंजूरी दी है।
हर जिले में डीसी के नेतृत्व में बनेगी तीन सदस्यीय टीम
सीएम ने बैठक में निर्णय लिया कि राज्य सरकार के स्वामित्व और किराए के गोदामों में 48 लाख टन गेहूं का भंडारण किया है। इसे मार्च 2025 तक हटा लिया जाएगा। इससे खाली हुई जगह धान के भंडारण के लिए उचित तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। धान के भंडारण के लिए हर जिला में डीसी के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम गठित की जाएगी, यह टीम भंडारण व्यवस्था की जांच करेगी। साथ ही यह टीम यह सुनिश्चित करेगी कि जिला में राज्य सरकार के स्वामित्व और किराए वाले गोदामों में खाली पड़ी जगह पर धान का भंडारण समय और सुरक्षित तरीके से किया जाए।
एफसीआई की तर्ज पर मापी जाएगी नमी
बैठक में मौजूद मंडी बोर्ड को एफसीआई की तर्ज पर नमी मापने वाले मीटर खरीदने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि धान की खरीद के दौरान 17 प्रतिशत नमी सुनिश्चित की जानी चाहिए। केंद्र सरकार के समक्ष राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य के 0.50 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक धान की सूखाई की बहाली, मिल से बाहर पहुंचाए गए चावल के लिए परिवहन खर्च की प्रतिपूर्ति और पिछले परिवहन के खर्चों की वसूली न करने जैसे मुद्दे भी उठाएगी।
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