नई दिल्ली 01 मई।उच्चतम न्यायालय ने व्यवस्था दी है कि वह विवाह के असाध्य मामलों में संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत अपनी विशेष शक्तियों का इस्तेमाल कर सकता है। ऐसा तभी संभव होगा जब पति-पत्नी के बीच सुलह की सभी संभावनाएं समाप्त हो गई हो।
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 13-बी के अन्तर्गत तलाक लेने के लिए अनिवार्य छह महीने की अवधि को हटाया जा सकता है। इसके लिए दम्पति को पारिवरिक अदालत जाने की आवश्यकता नहीं होगी। तलाक मंजूर करने के मामलों में उच्चतम न्यायालय की विशेष शक्तियों के इस्तेमाल करने के संबंध में कई याचिकाएं दायर की गई थीं। अनुच्छेद 142 के अंतर्गत उच्चतम न्यायालय के पास किसी भी मामले में पूर्ण न्याय करने के लिए आदेश देने का अधिकार है।
न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह और आर. बानूमती की खण्डपीठ ने एक याचिका पर इस मामले को लगभग पांच साल पहले 29 जून 16 को संविधान पीठ कौ सौंप दिया था। संविधान पीठ ने पिछले साल 29 सिंतबर को इस मुकदमे में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
The post पति-पत्नी के बीच सुलह की संभावनाएं समाप्त होने पर न्यायालय करें विशेष शक्तियों का इस्तेमाल appeared first on CG News | Chhattisgarh News.