रायपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय एवं डाॅ. भीमराव अम्बेडकर स्मृति चिकित्सालय स्थित हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग में विभागाध्यक्ष डाॅ. कृष्णकांत साहू के नेतृत्व में मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सफल सर्जरी की गई। डाॅ. कृष्णकांत साहू के अनुसार संभवतः प्रदेश में पहली बार मेडियस्टाइनल हाइडेटिड सिस्ट की सर्जरी अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में की गई है। ऑपरेशन के बाद मरीज स्वस्थ है एवं अपने घर जाने को तैयार है।
यह बीमारी जिसको हाइडेटिड सिस्ट कहा जाता है, यह कुत्ते के मल के द्वारा फैलता है। यह एक कृमि जिसको इकाइनोकोकस ग्रेन्यूलोसस कहा जाता है, के द्वारा होता है। यह उन लोगों को ज्यादा होता है जो कुत्ते के साथ रहते हैं या खेलते हैं।
ये अंग होते हैं प्रभावित
यह बीमारी (हाइडेटिड सिस्ट) सबसे ज्यादा लिवर को प्रभावित करता है। उसके बाद फेफड़े, मस्तिष्क, आंत एवं हृदय में भी हो सकता है लेकिन मेडियस्टाइनम (वक्ष गुहा का मध्य भाग / mediastinum) में हाइडेटिड सिस्ट का पाया जाना बहुत ही दुर्लभ है।
पहली बार ऐसा केस आया सामने
ऑपरेशन करने वाले सर्जन डाॅ. कृष्णकांत साहू बताते हैं कि मेरे 15 साल के कैरियर में ऐसा केस पहली बार देखा। मेडियस्टाइनम का अर्थ होता है दो फेफड़ों के बीच का स्थान जहां पर हृदय स्थित होता है। यह बीमारी सामान्यतः नार्थ अफ्रीका एवं साउथ अफ्रीका में सबसे ज्यादा पाया जाता है। यह युवक भी 2 साल पहले बीमार कुत्तों की सेवा करता था। उसी से आशंका है कि यह बीमारी उसी समय आयी होगी।
डाॅ. साहू का कहना है कि हमारे हार्ट, चेस्ट और वैस्कुलर सर्जरी विभाग में फेफड़े के हाइडेटिड सिस्ट के 3-4 ऑपरेशन हर माह होते हैं परंतु ऐसा केस उन्होंने आज तक नहीं देखा था। चार साल पहले इस विभाग में हृदय के अंदर हाइडेटिड सिस्ट का मामला आया था।
सांस लेने और बोलने में हो रही थी समस्या
21 वर्षीय युवक बालोद जिला का रहने वाला है एवं पी. एस. सी. प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है। उसे लगभग दो महीनों से खांसी एवं सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। सांस इतना फूल रहा था कि उसको बात करने में भी तकलीफ हो रही थी। थोड़ी-थोड़ी खांसी लगभग एक साल से हो रही थी। स्थानीय डॉक्टर को दिखाने पर उसको खांसी की दवाई दी गई परंतु जब सांस ज्यादा ही फूलने लगी तो मरीज की दीदी जो कि अम्बेडकर अस्पताल में नर्सिंग इंचार्ज सिस्टर हैं, को बताया। फिर सिस्टर ने छाती का एक्स रे करवाया जिसमें पता चला कि हृदय के ऊपर कुछ गांठ है। इसके बाद डाॅ. साहू को संपर्क किया और चेस्ट का सीटी स्कैन कराया तो पता चला कि हार्ट के ऊपर कैंसर थर्ड ग्रेड का ट्यूमर है।
मरीज की दीदी सीटीवीएस विभाग में नर्सिंग इंचार्ज रह चुकी हैं तो उनको पता था कि हृदय के कैंसर की सर्जरी अम्बेडकर अस्पताल के हार्ट, चेस्ट, वैस्कुलर सर्जरी विभाग में होता है इसलिए वह तुरंत अपने भाई को यहां पर डाॅ. के. के. साहू के पास ले आई। डाॅ. साहू ने सीटी. गाइडेड बायोप्सी के लिए कहा। इसमें भी कैंसर के प्रकार का पता नहीं चल पाया। परंतु मरीज की सांस बहुत ज्यादा चल रही थी इसलिए डाॅ. साहू ने बिना ज्यादा समय गंवाए ऑपरेशन के लिए तैयारी कर ली।
इस तरह हुआ ऑपरेशन
यह ऑपरेशन अन्य हाइडेटिड सिस्ट के ऑपरेशन से अलग था। इसके ऑपरेशन करते समय तक यह पता नहीं था कि यह हृदय (मेडियस्टाइनम) का कैंसर न होकर हाइडेटिड सिस्ट है। इस मरीज में यह गांठ महाधमनी (Aorta), फेफड़े की धमनी (left pulmonary artery) एवं बायें मुख्य सांस नली को उसकी चपेट में ले रखा था एवं जरा भी चूक होने पर मरीज की जान जा सकती थी। इस ऑपरेशन के लिए हार्ट लंग मशीन को भी तैयार रखा गया था। इस गांठ का आकार 10X8 सेमी. था।
इस प्रकार की बीमारी से बचा जा सकता है। यदि गली के कुत्ते से दूरी बनायें रखें या फिर यदि घर में कुत्ता है तो कृमिनाशक (डीवॉर्मिंग) दवाई का उपयोग करें या फिर डॉक्टर की सलाह पर समय- समय पर घर वाले कृमिनाशक दवाइयों का उपयोग करें। कृमि से न केवल खून की कमी एवं कमजोरी होती है बल्कि कृमि से इस प्रकार का हाइडेटिड सिस्ट भी होता है जो जानलेवा होता है।
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