रायपुर। बेमेतरा जिले के बिरनपुर गांव में मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया और एक युवक की हत्या हो गई थी। इसके बाद उपजे तनाव के दौरान मुस्लिम समुदाय के दो लोगों को जंगल में पीट-पीटकर मार डाला गया, अब तक उनके आश्रितों के लिए किसी राहत की घोषणा सरकार की तरफ से नहीं आई है, जिस पर सभी सवालिया निशान लगा रहे हैं।
बिरनपुर में हुई इन घटनाओं के बाद प्रारंभिक तौर पर लग रहा था कि तनाव कम होने के बाद सरकार मुआवजे के लिए पहल करेगी। इस बीच साहू परिवार के जिस नौजवान की मौत हुई उसके परिजनों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 10 लाख रूपये देने की घोषणा की। इसके बाद प्रदेश में कई गंभीर सड़क दुर्घटनाएं भी हुईं। दो दिन पूर्व ही हुए एक सड़क हादसे में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री ने इस हादसे पर अफ़सोस जताते हुए मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रूपये मुआवजे की घोषणा की, मगर आश्चर्य इस बात का है कि अब तक सरकार की ओर से बिरनपुर में मारे गए मुस्लिम समुदाय के पिता-पुत्र के परिजनों को अब तक कोई भी कोई भी सहायता राशि नहीं दी गई है।
सरकार द्वारा मुस्लिम अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए कुछ मंडल और आयोग बनाये गए हैं, जिनके पदाधिकारियों ने बिरनपुर में झांका तक नहीं है। और तो और समाज के इकलौते मंत्री मोहम्मद अकबर, इलाके के विधायक और कद्दावर मंत्री रविंद्र चौबे तथा प्रदेश के गृह मंत्री और साहू समाज के सबसे वरिष्ठ सत्तारूढ नेता ताम्रध्वज साहू भी इस गांव में नहीं पहुंचे हैं। आखिर इसकी वजह क्या है?
बिरनपुर में पिता-पुत्र की हुई मौत को पुलिस ने सांप्रदायिक घटना मानते हुए विभिन्न धाराओं के तहत आरोपियों को गिरफ्तार भी किया है। देश में अमूमन सांप्रदायिक घटनाओं के प्रभावितों को तत्काल राहत राशि की घोषणा की जाती है। बिरनपुर में ऐसा हुआ भी, मगर केवल एक पक्ष के साथ। पूर्व में जब इस संबंध में कलेक्टर से मुस्लिम समाज के लोगों द्वारा जानकारी चाही गई थी, तब उन्होंने बताया था कि मुआवजे के संबंध में प्रकरण तैयार करके शासन को भेज दिया गया है। मगर आश्चर्य है कि अब तक सरकार की ओर से कोई भी मुआवजा राशि स्वीकृत नहीं हुई है।
बताते चलें कि मृत पिता-पुत्र ही अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे। अब परिवार में दोनों की बेवाएं रह गईं हैं। अब तक हम परिजनों को मुआवजे की बात कर रहे थे, सच तो ये है कि अभी तक मृतकों के परिजनों का बयान तक नहीं लिया गया था। मुस्लिम समुदाय के चंद समाज सेवकों के बार-बार के प्रयासों के बाद कल शनिवार को परिजनों को बयान देने के लिए बुलाया गया। जिसके बाद ये सभी साजा थाने में पहुंचे थे जहां पुलिस ने इनका बयान लिया।
सरकारी मदद से इतर मुस्लिम समाज की ओर से बिरनपुर के प्रभावितों, जिनमें मृत पिता-पुत्र के परिजनों के अलावा जिनके मकान जला दिए गए और तोड़फोड़ के चलते जिनकी संपत्तियों को नुकसान हुआ है, उन सभी को आर्थिक सहयोग किया जा रहा है। शुरुआत में छत्तीसगढ़ जकात फाउंडेशन और कुछ संगठनों की ओर से इन्हें 3 लाख रूपये की दी गई। इसके बाद प्रदेश मुस्लिम समाज कल्याण सोसायटी द्वारा समाज से एकत्र 2 लाख रूपये की सहयोग राशि दी गई। इस बीच बस्तर संभाग के मुस्लिम समाज ने 5 लाख रूपये प्रभावितों को दिए। इस तरह अब तक 10 लाख रूपये की सहयोग राशि मुस्लिम समुदाय की ओर से दी जा चुकी है, मगर अब तक बिरनपुर के मुस्लिम समुदाय के सभी प्रभावित सरकार के मरहम महरूम हैं। आखिर क्यों..?
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