अम्बिकापुर। एक बार फिर अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज की स्वास्थ्य सुविधाओं की पोल खोलकर रख दी है। यहां शव को ले जाने के लिए मुक्तांजलि वाहन नहीं मिला तो बेटे ने किराए का ऑटो किया और उसी में शव को रखकर घर तक ले गया। इधर एमएस डॉ लखन सिंह ने कहा कि शव वाहन नहीं मिलने की शिकायत मिली है, जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के मुताबिक सरगवां के रहने वाले 50 वर्षीय दुर्योधन सिंह की तबियत खराब होने पर उन्हें 3 दिन पहले मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां सोमवार देर रात उनकी मौत हो गई। इसके बाद मृतक के बेटे अनुराग सिंह ने पिता के शव को घर ले जाने के लिए 1099 पर कॉल करके शव वाहन मांगा। इस पर वहां कर्मचारी ने शव वाहन देने का आश्वासन तो दिया, लेकिन पूरी रात गुजर गई, मुक्तांजलि वाहन मुहैया नहीं कराया गया।
मंगलवार सुबह बेटे ने किराए का ऑटो किया
मंगलवार सुबह बेटे ने किराए का ऑटो किया और शव को घर तक ले गए। मुक्तांजलि जिला नोडल अधिकारी शैलेन्द्र महंत ने कहा कि परिजनों को शव वाहन के लिए इंतजार करने को कहा गया था। सीतापुर में शव को घर तक पहुंचाकर एक वाहन मेडिकल कॉलेज वापस लौटा था, लेकिन तब तक परिजन शव को लेकर घर जा चुके थे। इधर एम एस डॉ लखन सिंह ने कहा कि शव वाहन नहीं मिलने की शिकायत मिली है, जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
सरगुजा जिले में कुल 6 शव वाहन
सरगुजा जिले में कुल 6 शव वाहन हैं, जिसमें मेडिकल कॉलेज अंबिकापुर में 3 जबकि 3 अन्य ब्लॉक में हैं। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में हर दिन पूरे संभाग से इलाज कराने के लिए लोग आते हैं, ऐसे में किसी मरीज की मौत होने पर लोगों को समय पर शव वाहन नहीं मिल पाता है। मुक्तांजलि के नोडल अधिकारी शैलेन्द्र महंत का कहना है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कम से कम 6 शव वाहनों की और जरूरत है।